Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक के मामले में बुधवार को एक लैंडमार्क फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई महिला बच्चे की परवरिश के लिए नौकरी छोड़ने का फैसला करती है तो इसे स्वैच्छिक बेरोजगारी नहीं माना जा सकता है. ऐसे में वह महिला भी तलाक के सामान्य मामले की तरह अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि तलाक के केस में मेंटिनेंस अमाउंट तय करने के लिए महिला की कमाने की योग्यता नहीं बल्कि उसकी असल आय को ध्यान में रखा जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने इसके साथ ही तलाक के एक मामले में निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें निचली अदालत ने महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश पति को दिया था.

आइए आपको 5 पॉइंट्स में बताते हैं कि पूरा मामला क्या है और इसमें क्या फैसला आया है-

1. पति ने लगाई थी गुजारा भत्ते के खिलाफ हाई कोर्ट से गुहार
तलाक के एक केस में निचली कोर्ट ने साल 2023 में फैसला सुनाया था. कोर्ट ने पति को अपनी पूर्व पत्नी और उसके 6 साल के बेटे को 7,500 रुपये का गुजारा भत्ता हर महीने देने के निर्दश दिए थे. इसके खिलाफ पति ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी. पति ने कहा था कि वह जिला अदालत में एडवोकेट है और उसकी कमाई 10 से 15 हजार रुपये महीना है. वह आर्थिक और भावनात्मक रूप से जूझ रहा है और मेंटिनेंस ऑर्डर का पालन करने में सक्षम नहीं है. पति ने हाई कोर्ट के सामने यह तर्क रखा कि उसकी अलग हो चुकी पत्नी उच्च शिक्षित हैं. पति ने कहा कि अपनी टीचिंग जॉब छोड़ने से पहले उसकी पत्नी 40 से 50 हजार रुपये महीना कमा रही थीं. पति ने हाई कोर्ट के सामने तर्क रखा था कि जब मेरी तलाकशुदा पत्नी कमाने के योग्य है तो वह मेंटिनेंस लेने की हकदार नहीं है. 

2. साल 2016 में हुई थी शादी, 2017 में हुआ तलाक
इस मामले में पति-पत्नी की शादी साल 2016 में हुई थी. दोनों के बीच लगातार मतभेद थे, जिसके बाद साल 2017 में वे दोनों अलग हो गए थे. पत्नी ने अलग होने के लिए अपने पति पर क्रूरता दिखाने और उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था, जबकि उसके पति का कहना था कि वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहने के लिए तैयार है. महिला के वकील ने इस मामले में हाई कोर्ट के सामने तर्क दिया कि अलग हो चुका पति आर्थिक रूप से समृद्ध है और वकालत के अलावा भी उसे किराये से आमदनी होती है. महिला ने कहा कि वह नौकरी करती थी, लेकिन उसे घर के करीब नौकरी नहीं मिली और घंटों सफर करना पड़ता था. इस कारण उसने अपने बेटे की देखभाल के लिए टीचिंग जॉब छोड़ी थी, जिसकी वह सिंगल पेरेंट के तौर पर देखभाल कर रही हैं

3. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कही ये बात
हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने अपने फैसले में कहा,'अपने नाबालिग बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी के चलते महिला नौकरी नहीं कर सकती है और उसका पूर्व में टीचर के तौर पर रोजगार उसके मेंटिनेंस लेने के अधिकार को खारिज करने का वैध आधार नहीं हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि वह महिला के नौकरी छोड़ने के कारणों को उचित और न्यायसंगत दोनों मानती है. 

4. 'बच्चे की देखभाल करने वाले की रोजगार क्षमता होती है प्रभावित'
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह माना कि नाबालिग बच्चे की देखभाल करने वाली माता या पिता की पूर्णकालिक रोजगार करने की क्षमता सीमित हो जाती है. खासकर उन मामलों में जहां मां के काम पर रहने के दौरान बच्चे की देखभाल करने के लिए परिवार से कोई भी साथ नहीं होता है. ऐसी परिस्थितियों में, प्रतिवादी द्वारा रोजगार छोड़ने को स्वैच्छिक रूप से काम छोड़ने के रूप में नहीं देखा जा सकता है, बल्कि इसे बच्चे की देखभाल के सर्वोच्च कर्तव्य के परिणामस्वरूप आवश्यक माना जा सकता है.'

5. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि कमाने की योग्यता असली आय के समान नहीं होती. अकेले कमाने में सक्षम होना रखरखाव को कम करने का वैध कारण नहीं है. कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने यह आकलन किया है कि साल 2010 से काम कर रहे पति की अनुमानित मासिक आय 30,000 रुपये आंकी है और यह पूरी तरह असंगत नहीं है. याचिकाकर्ता के आय हलफनामे पर विचार नहीं करते हुए उसे बेंच फैमिली कोर्ट को वापस भेजना उचित समझती है. फैमिली कोर्ट एक महीने के अंदर दोनों पक्षों की तरफ से दाखिल आय हलफनामों और बैंक स्टेटमेंट को ध्यान में रखते हुए अंतरिम गुजारे भत्ते के आवेदन पर नए सिरे से विचार करेगी. इसके बाद कानून के अनुसाल तर्कसंगत आदेश पारित करेगी. तब तक अंतरिम व्यवस्था के तौर पर याचिकाकर्ता (पति) को हर महीने अपनी तलाकशुदा पत्नी को 7500 रुपये और अपने नाबालिग बेटे को 4500 रुपये गुजारा भत्ता देना होगा. 

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Delhi High Court Landmark decision in divorce case says Woman Entitled To Alimony if she Quits Job To Look After Child read delhi high court news
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बच्चे के लिए नौकरी छोड़ने वाली मां गुजारा भत्ते की हकदार, Delhi High Court का लै
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Delhi High Court की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने तलाक के मामले में लैंडमार्क निर्णय दिया है.
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Delhi High Court की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने तलाक के मामले में लैंडमार्क निर्णय दिया है.

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बच्चे के लिए नौकरी छोड़ने वाली मां गुजारा भत्ते की हकदार, हाई कोर्ट का लैंडमार्क फैसला, पढ़ें 5 पॉइंट्स

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