डीएनए हिंदी: दुनिया में एक बार फिर कोविड-19 (Covid-19) के आंकड़े बढ़ने लगे हैं. वहीं यूरोप के कुछ देशों से लेकर ब्रिटेन में तेजी से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही हैं. इसके अलावा चीन में स्थितियां बिगड़ने के चलते एक बार फिर लॉकडाउन (China Lockdown) घोषित कर दिया है. वहीं भारत की बात करें तो यहां कोविड-19 की स्थिति फिलहाल कंट्रोल में है. पिछले 24 घंटों में देश में कोविड के नए 1421 नए मामले सामने आए हैं. हालांकि भारत में भी BA.2 Omicron+Delta Variant के मिलने की पुष्टि हुई है जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलर्ट जारी किया है.
शुरू हो गईं अतर्राष्ट्रीय उड़ानें
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो रविवार को देश में अब कुल 16187 कोविड एक्टिव केस रह गए हैं जबकि पिछले हफ्ते की शुरुआत में कोविड -19 मामलों में मामूली वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं भारत सरकार ने भी कोविड के कंट्रोल में आने के बाद अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों (International Airlines) को फिर से शुरू कर दिया है. यह ऐसा वक्त है जब कुछ देशों में कोविड के मामले भयावह रफ्तार से बढ़ रहे थे. ऐसे में 10 में से 7 लोगों ने भी भारत में इन अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के शुरू होने पर चिंता व्यक्त की है.
क्या है विशेषज्ञों की राय
वहीं विदेशों में तांडव मचा रही कोविड की चौथी लहर (Covid Fourth Wave) के चलते भारत में भी इसका डर फैलने लगा है. वहीं इस मुद्दे पर वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य एक्सपर्ट के मुताबिक कोविड की चौथी लहर भारत के लिए बहुत चिंताजनक नहीं है क्योंकि यहां 184 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई है लेकिन चिंता इस बात की है कि जिस तेजी से कोरोनावायरस म्यूटेंट हो रहा है और नए वेरिएंट की पहचान हो रही है उससे कोरोना की चौथी लहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ सकती है और यह नया वेरिएंट लोगों में घबराहट पैदा कर रहा है.
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वहीं यदि BA.2 सब वेरिएंट ओमिक्रॉन और डेल्टा के मेल से बना खतरनाक वायरस है जिसकी पहचान जांच के दौरान कई बार नहीं हो पाती है. स्टील्थ ओमिक्रॉन कहे जाने वाले बीए.2 सब वेरिएंट आम तौर पर गला, उपरी श्वसन प्रणाली और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है. शरीर में दर्द और थकान इसके दो मुख्य लक्षण हैं. बीए.2 से संक्रमित मरीजों में बुखार, सर्दी, खांसी, गले में खरास, सिर दर्द और सामान्य एलर्जी में होने वाली समस्याएं देखी जाती हैं. यदि समय पर इसका इलाज ना किया गया तो मरीजों पर इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं और मौत का खतरा भी बढ़ सकता है.
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