डीएनए हिंदीः रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) से विश्व में गेहूं (wheat) की आपूर्ति पर असर पड़ रहा है. इस बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लिए अच्छी खबर सामने आ सकती है. कहा जा रहा है कि मिस्र भारत के मध्य प्रदेश से खाद्यान्न के आयात कर सकता है. राज्य सरकार के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि मिस्र मध्य प्रदेश से गेहूं की आपूर्ति कर सकता है.
मध्यप्रदेश भारत में गेहूं का प्रमुख उत्पादक है. यहां इन दिनों रबी सत्र की गेहूं की फसल कटकर मंडियों में पहुंच रही है. राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि मिस्र सरकार के अफसरों का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सूबे की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर पहुंचा और स्थानीय निर्यातकों, कारोबारियों और अधिकारियों के साथ बैठक की.
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मध्य प्रदेश के किसानों के मिल सकती है 'गुड न्यूज'
उन्होंने बताया कि मिस्र के प्रतिनिधिमंडल ने बैठक के दौरान राज्य में गेहूं के भण्डारण, उसकी शुद्धता और गुणवत्ता के संबंध में विस्तार से जानकारी ली. अधिकारी के मुताबिक, चर्चा में इस बात पर भी सहमति बनी कि मध्यप्रदेश के निर्यातक मिस्र जाकर गेहूं के द्विपक्षीय कारोबार की संभावनाओं को अमली जामा पहनाने का प्रयास करेंगे.
अधिकारी ने बताया कि मिस्र के प्रतिनिधिमंडल ने बैठक के बाद इंदौर के केंद्रीय भंडार गृह का दौरा कर गेहूं भंडारण की व्यवस्था भी देखी है. गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन की गिनती गेहूं के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में होती है लेकिन दोनों देशों के विवाद के कारण आपूर्ति बाधित हो रही है. इस चलते कई मुल्क भारत और अन्य देशों से गेहूं खरीद रहे हैं.
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भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक
रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों ने भी उसके गेहूं निर्यात को घटा दिया है. भारत विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत सरकार इन दिनों वैश्विक बाजार में गेहूं की ऊंची कीमतों की स्थिति का फायदा लेने के लिए इस खाद्यान्न के निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिशों में जुटी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का गेहूं निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 70 लाख टन को पार कर गया था जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में यह निर्यात 21.55 लाख टन के स्तर पर था. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि जारी वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश का गेहूं निर्यात 100 लाख टन के स्तर को पार कर सकता है.
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