डीएनए हिंदीः देश की राजनीति में हाशिए पर जा रही कांग्रेस किसान आंदोलन के जरिए अपने लिए नए राजनीतिक अवसरों की तलाश में में थी. पार्टी के लिए सकारात्मक बात ये भी रही कि मोदी सरकार ने आंतरिक सुरक्षा को खतरा एवं किसानों की मांगों के मु्द्दे पर किसान आंदोलन का कारण अर्थात तीन कृषि कानूनों को ही रद्द कर दिया.
इस मुद्दे पर दबे मुंह सरकार के पीछे हटने का श्रेय कांग्रेस भी लेती रही है. इसके विपरीत अब कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नए सिरे से तैयारी कर रही है जिसकी शुरुआत दिल्ली की एक विशाल रैली से हो सकती है.
दिल्ली में होगी रैली?
मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करने के बाद जहां भाजपा को अभी बैकफुट पर दिख रही है तो वहीं कांग्रेस अपने संगठन को एकत्र कर मोदी सरकार पर राष्ट्रव्यापी हमला बोलने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस इस अवसर को उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले अपने लिए एक सकारात्मक समय मान रही है. कांग्रेस की आक्रामकता की ये शुरुआत राजधानी दिल्ली से हो सकती है, जहां पार्टी एक बड़ी रैली की प्लानिंग कर रही है.
वॉररूम में हुई बैठक
कांग्रेस ने अपनी भविष्य की राजनीति को लेकर एक विशेष प्लानिंग की है. पार्टी के वॉररूम 15 गुरुद्वारा रकाबजगंज रोड दफ्तर पर हुई बैठक में पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारियों के साथ महंगाई, कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा और कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा की है, जिसमें दिल्ली में एक बड़ी रैली को लेकर भी चर्चा हुई है. खास बात ये है कि इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने की थी.
वहीं इस रैली को लेकर अभी कांग्रेस का कोई पदाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. कांग्रेस नेता एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह ने कहा, "अभी रैली को लेकर तिथि और स्थान का चयन नहीं हुआ है. महंगाई से जनता परेशान है और कांग्रेस लोगों की लड़ाई लड़ेगी. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस को जो जिम्मेदारी दी जाएगी, उसे हम निभाएंगे."
यूपी चुनाव होगा मुद्दा
इस बैठक में भले ही दिल्ली की रैली को मुख्य मुद्दा माना जा रहा है किंतु प्रियंका का बैठक की अध्यक्षता करना दर्शाता है कि इस दिल्ली की रैली में भी उत्तर प्रदेश चुनाव एक मुख्य मुद्दा हो सकता है. संभवतः यही कारण है कि यूपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के अलावा पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ राजस्थान एवं सभी मुख्य राज्यों के नेता शामिल थे. निश्चित है कि यदि ये बैठक दिल्ली में होती है, तो प्रियंका उत्तर प्रदेश चुनाव को सर्वाधिक हाईलाइट करेंगी, जिससे वो प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने खुद को चेहरा साबित कर सके.
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