डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर दस्तक दे दी है विक्रम लैंडर चांद पर नई संभावनाएं तलाश रहा है. भारत ने छह हफ्ते पहले अपना चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था. 14 जुलाई को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू हुआ यह मिशन, अब अपने अंजाम की ओर आगे बढ़ रहा है.
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. दुनिया उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहती है. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि लगभग 1,000 इंजीनियर और वैज्ञानिक 615 करोड़ रुपये के मिशन के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि इस मिशन के पीछे किनका दिमाग है.
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एस सोमनाथ
एयरोस्पेस इंजीनियर श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ को दुनिया एस सोमनाथ के नाम से जानती हैं. उन्होंने रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क -3 को डिजाइन करने में अहम भूमिका निभाई है. इसे बाहुबली रॉकेट भी कहते हैं. चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचाने वाला कैरियर रॉकेट यही है. सोमनाथ कई प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे हैं.
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सोमनाथ ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद साल 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में काम करना शुरू किया. वह कई सेटेलाइट प्रोजेक्ट में शामिल रहे हैं. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के तौर पर भी काम किया है. वह चंद्रयान-3 के अलावा, आदित्य-एल1 से लेकर सूर्य और गगनयान, भारत का पहला मानवयुक्त मिशन जैसे अन्य महत्वपूर्ण मिशनों का नेतृत्व कर रहे हैं.
पी वीरमुथुवेल
पी वीरमुथुवेल 2019 में चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट में शामिल हुए थे. इसरो के स्पेस इन्फ्रास्ट्र्क्चर प्रोग्राम ऑफिस के दौरान उन्होंने चंद्रयान-3 और मंगलयान मिशन में अहम भूमिका निभाई थी. वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) से ग्रेजुएट हैं. वह लैंडर को डिजाइन करने के लिए मशहूर हैं.
एस उन्नीकृष्णन नायर
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक के तौर पर नायर और VSSC में उनकी टीम ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मार्क-III को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई थी. अब यह लॉन्च व्हीकल मार्क-III के तौर पर जाना जाता है.
एम शंकरन
एम शंकरन, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के प्रमुख हैं. उनकी टीम इसरो के लिए भारतीय सेटेलाइट को डिजाइन करती है. वह चंद्रयान-1, मंगलयान से लेकर चंद्रयान-2 तक के निर्माण में शामिल रहे हैं. चंद्रयान-3 में लैंडर की ताकत से लेकर यान की क्षमताओं तक का परीक्षण उन्होंने किया था. उनकी टीम संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और यहां तक कि अन्य ग्रहों की खोज में देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपग्रह बनाती है. उनके पास फिजिक्स में मास्टर डिग्री है.
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कल्पना के
कल्पना के चंद्रयान-3 मिशन की सब प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. चंद्रयान 3 पर काम करने के अलावा, कल्पना के पास चंद्रयान-2 और मंगलयान मिशन पर काम करने का अनुभव भी है.
एम वनिता
एम वनिता चंद्रयान -2 मिशन के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर थीं. वह अंतरिक्ष यान और लैंडर्स के बारे में अच्छी जानकारी रखती हैं. वह इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं. वह चंद्र मिशन का नेतृत्व करने वाली भारत की पहली महिला भी थीं.
रितु करिधल श्रीवास्तव
भारत की 'रॉकेट वुमन' के नाम से मशहूर रितु करिधल श्रीवास्तव ने पूरे मिशन का नेतृत्व किया. वह इसरो में एक सीनियर साइंटिस्ट हैं और भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम), मंगलयान की उप संचालन निदेशक रह चुकी हैं.
रितु करिधल, साल 1997 में इसरो में शामिल हुई थीं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रकाशनों में 20 से अधिक पेपर पब्लिश कराए हैं.वह मंगलयान, चंद्रयान-1 मिशन, चंद्रयान-2 मिशन, GSAT-6A मिशन और GSAT-7A मिशन में शामिल रही हैं.
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