डीएनए हिंदी: Chandryaan-3 Landing Updates- भारत और रूस के बीच चंद्रमा पर पहुंचने को लेकर चल रही होड़ में भारतीय चंद्रयान-3 बाजी मारने के करीब है. चंद्रयान-3 जहां ऑर्बिट चेंज के बाद डीबूस्टिंग के जरिये चांद के करीब पहुंच चुका है और 2 घंटे बाद यानी शुक्रवार रात में 2 बजे उसे प्री-लैंडिंग ऑर्बिट के लिए दूसरी डीबूस्टिंग करनी है. वहीं, रूसी स्पेसक्राफ्ट लूना-25 शनिवार रात में ऑर्बिट चेंज के दौरान इमरजेंसी सिचुएशन में फंस गया है. कक्षा बदलने के लिए जारी थ्रस्ट के सक्सेसफुल नहीं रहने से लूना-25 (Luna-25) का ऑर्बिट चेंज नहीं कर पाया है. लूना-25 को 21 अगस्त को चांद पर उतरना है, जिसके लिए  वह बुधवार को ही चंद्रमा के अपर ऑर्बिट में पहुंच गया था. लूना-25 को आज प्री-लैंडिंग ऑर्बिट में पहुंचना था ताकि वह समय पर लैंडिंग की तैयारी कर सके, लेकिन अब यह प्लान बिगड़ता दिख रहा है. रूस का यह करीब 50 साल बाद पहला मून मिशन है, जो यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच में आयोजित होने से पहले ही देश में आलोचना का विषय बना हुआ है. ऐसे में रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन इसे हर हाल में सफल होते हुए देखना चाहते हैं. 

चंद्रयान-3 का लैंडर दूसरी डी-बूस्टिंग से घटाएगा दूरी

इसरो के चंद्रयान-3 का विक्रम लैंड अपनी पहली डी-बूस्टिंग के जरिये चांद के करीब पहुंच चुका है. अब उसे शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात में 2 बजे दूसरी डी-बूस्टिंग करनी है. इस डीबूस्टिंग से लैंडर अपने प्री-लैंडिंग ऑर्बिट में पहुंच जाएगा, जहां से उसकी चांद से न्यूनतम दूरी 30 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर रह जाएगी. यही वह पोजीशन होगी, जहां से 23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के जरिये इतिहास रचने की कोशिश की जाएगी. विक्रम लैंडर की पहली डी-बू्स्टिंग के बाद चांद से न्यूनतम दूरी 113 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 157 किलोमीटर रह गई है. पहली डी-बूस्टिंग 18 अगस्त को हुई थी, जो पूरी तरह सफल रही थी.

कैसे की जाती है डी-बूस्टिंग?

पहले समझ लेते हैं कि डी-बूस्टिंग (De-Boosting) का क्या मतलब है? यह वो प्रक्रिया है, जिसकी मदद से लैंडर के चांद की सतह पर पहुंचने से पहले उसकी रफ्तार धीमी की जाती है. इसके लिए लैंडर के पैरों पर दो थ्रस्टर्स लगाए गए हैं, जो लैंडर को अपोजिट दिशा में धकेलते हैं. विक्रम लैंडर के चार पैरों के पास लगे दो Thruster करीब 800 न्यूटन शक्ति के हैं. ये विक्रम की रफ्तार को वैसे ही कम करेंगे, जैसे कार में ब्रेक लगाए जाते हैं. यहां पर न्यूटन के तीसरे नियम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम कहते हैं. Lander की रफ्तार जिस दिशा में होती है, उस दिशा का थ्रस्टर दूसरी दिशा में Thrust पैदा करता है, जिससे रफ्तार कम होती जाती है. कार को रोकने के लिए जैसे ब्रेक को धीरे-धीरे कई बार दबाया जाता है. वैसे ही थ्रस्टर से भी कई बार थ्रस्ट पैदा करना होगा.

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chandrayaan 3 landing update isro moon mission vikram lander Russia Luna-25 orbit change move failed
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सबसे बड़ी परीक्षा से 2 घंटे दूर भारत का चंद्रयान, रूस का लूना-25 'इमर्जेंसी' में
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Chandrayaan-3 Lander Vikram की18 अगस्त को पहली डी-बूस्टिंग सफल रही थी.
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Chandrayaan-3 Lander Vikram की18 अगस्त को पहली डी-बूस्टिंग सफल रही थी.

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परीक्षा से 2 घंटे दूर भारत का चंद्रयान-3, रूस का लूना-25 'इमर्जेंसी' में अटका

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