CAG Report on Indian Air Force: युद्ध के समय किसी भी देश की वायुसेना उसके हमलों की रीढ़ की हड्डी कहलाती है. भारतीय वायुसेना ने भी 1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई से लेकर 1999 में कारगिल युद्ध तक खुद को साबित किया है. लेकिन अब एक ऐसी परेशानी पैदा हो रही है, जो भारतीय वायुसेना को कमजोर बना सकती है. दरअसल भारतीय वायुसेना फाइटर जेट्स पायलटों की भारी कमी से जूझ रही है. इस कमी के चलते भारतीय वायुसेना को युद्ध के दौरान मुश्किल उठानी पड़ सकती है. इसकी चिंता भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) यानी CAG रिपोर्ट में देखने मिली है. साथ ही रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने भी इस पर चिंता जताई है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता बताया है.
596 पायलटों की कमी है भारतीय वायुसेना में
कैग रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना के पास इस समय 596 पायलटों की कमी होने की जानकारी दी गई है. हालांकि यह आंकड़ा ज्यादा हो सकता है, क्योंकि कैग रिपोर्ट में साल 2021 तक का ही आंकड़ा दिया गया है. रिपोर्ट के हिसाब से फरवरी, 2015 में वायुसेना के पास 486 पायलटों की कमी थी, जो लगातार बढ़ती जा रही है.
भर्ती के लिए नहीं मिल पा रहे हैं पायलट
कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वायुसेना को नए पायलट भी नहीं मिल पा रहे हैं. साल 2016 से 2022 के बीच 222 नए पायलट भर्ती करने के प्लान तक को वायुसेना पूरा नहीं कर सकी है. नए पायलट देश के लिए जान बाजी पर लगाने के बजाय कॉमर्शियल सेक्टर में पायलट बनकर पैसा कमाने को तरजीह दे रहे हैं. भारत में बहुत सारी निजी एयरलाइंस काम कर रही हैं. इसके अलावा कई विदेशी एयरलाइंस का भी मार्केट है. भारतीय वायुसेना के मुकाबले इनके लिए काम करने पर ज्यादा पैकेज और सुविधाएं मिल रही हैं. साथ ही तय लाइफस्टाइल भी मिलता है. इसके चलते मिलिट्री पायलटों के नौकरी छोड़कर निजी कंपनियां जॉइन करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.
क्यों है चिंता की बात?
भारतीय वायुसेना के पास लगातार फाइटर पायलट की कमी बढ़ती जा रही है. नए पायलट मिल भी रहे हैं तो कठिन ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत उन्हें तैयार करने में कई महीने ही नहीं बल्कि कई साल भी लग जाते हैं. कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि पायलटों की भारी कमी के चलते भारतीय वायुसेना को यदि एकसाथ कई मोर्चों पर काम करने की जरूरत भी पड़ेगी तो उन्हें ऑपरेशनल रेडिनेस में परेशानी होगी.
भारतीय वायुसेना के पास तय सीमा से कम स्क्वॉड्रन
भारतीय वायुसेना के पास बढ़िया पायलटों की संख्या घटती जा रही है. संसदीय रक्षा समिति की बैठक में इसे लेकर चिंता जताई गई है. उन्होंने वायुसेना का पायलट टू सीट रेशियो 1.25:1 होने पर चिंता जताई गई है. उन्होंने इसे जंग के समय परेशानी खड़ी करने वाला मुद्दा बताया है. समिति के हिसाब से 42 स्क्वॉड्रन के मुकाबले पायलटों की कमी के चलते भारतीय वायुसेना के पास महज 31 स्क्वॉड्रन होने को लेकर चिंता जताई गई है. हालांकि अब वायुसेना में भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई गई है. लेकिन इसमें भी ज्यादा पायलट नहीं मिल रहे हैं. हालांकि वायुसेना में अधिकारियों के तौर पर महिलाओं की भर्ती बढ़ती जा रही है.
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CAG Report: भारतीय वायुसेना को नहीं मिल रहे पायलट, युद्ध हुआ तो...? जानें कैग रिपोर्ट में है किस बात की चिंता