डीएनए हिंदी: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) शराबबंदी पर जन जागरूकता पैदा करने के लिए समाज सुधार अभियान (Samaj Sudhar Abhiyan) यात्रा कर रहे हैं. शराबबंदी (Liquor Prohibition) का विरोध करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जो लोग शराब पीते हैं, जिन्हें शराब न मिलने की वजह से बिहार आने में दिक्कत होती है, उन्हें राज्य में आने की जरूरत नहीं है.

26 दिसंबर को विजयवाडा में सिद्धार्थ लॉ कॉलेज के एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस एनवी रमन्ना (N V Ramana) ने शराबबंदी के कानून को अदूरदर्शी ठहराया था. कोर्ट में बढ़ते लंबिंत मामलों के लिए उन्होंने इस फैसले को जिम्मेदार ठहराया था.

उन्होंने कहा, 'ऐसे फैसलों की वजह से देश की अदालतों में मुकदमों का अंबार लग जाता है. ऐसे कानून का ड्राफ्ट तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी होती है. उदाहरण के लिए बिहार मद्यनिषेध निषेध अधिनियम 2016 की शुरुआत के चलते हाई कोर्ट (High Court) में जमानत के आवेदनों की भरमार हो गई. इसकी वजह से एक साधारण जमानत अर्जी के निपटारे में एक साल का समय लग जाता है. बिना ठोस विचार के लागू कानून बढ़ते केस के लिए जिम्मेदार होते हैं.'

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शराबबंदी के बाद बढ़े कोर्ट में लंबित मामले

बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद से अदालतों में लंबिंत मामलों की संख्या बढ़ी है और जेलों में कैदियों की संख्या में भी बढ़ोतरी आई है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से यह तथ्य छूटता नजर आ रहा है. राज्य पुलिस (State Police) के रिकॉर्ड बताते हैं कि इस साल अक्टूबर तक बिहार मद्य निषेध (Bihar Prohibition) और उत्पाद शुल्क कानून (Excise law) के तहत 3,48,170 मामले दर्ज किए गए हैं और 4,01,855 गिरफ्तारियां की गई हैं. इन मामलों से संबंधित लगभग 20,000 बेल एप्लीकेशन (Bail Applications) राज्य में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) और जिला अदालतों के समक्ष निपटान के लिए लंबित हैं.

कोर्ट में कितनी लंबिंत हैं याचिकाएं?

पटना हाई कोर्ट ने जनवरी 2020 और नवंबर 2021 के बीच शराबबंदी के मामलों में 19,842 जमानत याचिकाओं (अग्रिम और नियमित) का निपटारा किया. इस अवधि के दौरान कोर्ट द्वारा निपटाई गई कुल जमानत याचिकाएं 70,673 थीं. इस नवंबर तक, ऐसे मामलों में 6,880 जमानत याचिकाएं अभी भी हाईकोर्ट में लंबित हैं. कुल जमानत याचिकाओं की संख्या 37,381 हैं.

बिहार के 59 जेलों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता करीब 47,000 है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल इन जेलों में  करीब 70,000 कैदी हैं जिनमें से लगभग 25,000 के खिलाफ शराब कानून (Liquor Law) के तहत मामला दर्ज किया गया था. 

शराबबंदी के खिलाफ एक्शन मोड में है पुलिस!

बिहार में शराब माफियाओं के खिलाफ पुलिस लगातार एक्शन मोड में है. नवंबर की शुरुआत में गोपालगंज और बेतिया में जहरीली शराब के मामले सामने आने के बाद से बिहार पुलिस (Bihar Police) ने शराब तस्करों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है. नवंबर में लगभग 10,000 लोग शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किए गए. इससे राज्य भर की जेलों में और भीड़ हो गई है. पटना की बेउर सेंट्रल जेल (Beur Central Jail) में लगभग 2,400 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में यह 5,600 कैदियों से भरी हुई है.

शराबबंदी पर क्या है CM Nitish Kumar का रुख?

इंडियन एक्सप्रेस ने एक जेल अधीक्षक (Jail Superintendent) ने कहा है कि हर तीसरा या चौथा कैदी शराब कानून के तहत आरोपी है. 2017 के बाद से यही चलन रहा है. 2019 और 2020 में हमें कुछ राहत मिली थी जिनमें से अधिकांश को जमानत मिली थी लेकिन जेलों में शराब कानून का उल्लंघन करने वालों की संख्या फिर से बढ़ रही है.

नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी के अभियान पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं. 24 दिसंबर को गोपालगंज में नीतीश कुमार ने कहा था कि 2016 में शराब मामले में गोपालगंज कोर्ट ने 9 लोगों को मार्च में मौत की सजा सुनाई थी. यह सजा शराब पीने वालों और व्यापारियों के लिए एक बड़ा सबक है. उन्होंने कहा था कि पियोगे तो मारोगे.

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बिहार में शराबबंदी: नीतीश के कानून पर चिंता में क्यों हैं जस्टिस रमन्ना?
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