Bangladesh Hindu Attacks: बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है. अपने यहां भड़की इस आग को बुझाने के बजाय अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस की सरकार ने एक और ऐसा कदम उठा दिया है, जो सीधेतौर पर वहां बढ़ते भारत विरोध का आइना नजर आ रहा है. बांग्लादेशी सरकार ने भारत के कोलकाता और अगरतला में अपने डिप्टी हाई कमीशन से टॉप डिप्लोमेट्स को वापस बुला लिया है. बांग्लादेशी मीडिया ने यह दावा पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की इन राजधानियों में बांग्लादेश में चल रही हिंदू विरोधी हिंसा के खिलाफ उग्र प्रदर्शन भड़कने के बीच किया है. कोलकाता और अगरतला में पिछले दिनों बांग्लादेशी डिप्टी हाई कमीशन के बाहर बेहद उग्र प्रदर्शन हिंदू समुदाय ने किया है. अगरतला में भीड़ ने डिप्टी हाई कमीशन के अंदर तोड़फोड़ भी की है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बांग्लादेश ने नई दिल्ली से अपने उच्चायुक्त को भी वापस बुलाने का निर्णय लिया है या नहीं. भारत सरकार की तरफ से भी इस पर कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है.
दिन में साड़ी जलाकर की गई थी 'Boycott India' की अपील
बांग्लादेश के भारत से अपने राजनयिक बुलाए जाने से पहले गुरुवार को दिन में वहां की अंतरिम सरकार में शामिल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने एक और कदम किया. बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में अपने कार्यकर्ताओं के साथ भारत विरोधी प्रदर्शन किया था. इसमें रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से खरीदी गईं साड़ियों को जलाते हुए Boycott India कैंपेन शुरू किया था. रिजवी ने भारतीय प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की अपील की थी. रिजवी ने कहा,'हम एक समय खाना नहीं खाएंगे, लेकिन भारत के सामने नहीं झुकेंगे. हमारी माताएं-बहनें भारतीय साड़ियां नहीं पहनेंगी और वहां के साबुन-टूथपेस्ट नहीं इस्तेमाल करेंगी. बांग्लादेश आत्मनिर्भर है. हम अपनी आवश्यकता के सारे सामान का उत्पादन कर सकते हैं. भारत से आने वाली चीजों को मत खरीदिए, जो बांग्लादेशी संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.' रिजवी के इस प्रदर्शन से पहले ही सोशल मीडिया पर भारत के बहिष्कार का कैंपेन बांग्लादेश में बड़ी तेजी से वायरल हुआ है.
चीन-पाकिस्तान दे रहे भारत विरोध को बढ़ावा
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ भड़की हिंसा को भारत विरोधी कैंपेन में बदलने के पीछे चीन-पाकिस्तान का हाथ बताया जा रहा है. बीएनपी नेताओं ने नवंबर में कई दिन के लिए चीन का दौरा किया था. इसके बाद ढाका में चीनी दूतावास में एक स्वागत समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा की अगुवाई कर रही जमात-ए-इस्लामी, खिलाफत मजलिस, बांग्लादेश खिलाफत, हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश और निजाम-ए-इस्लाम पार्टी जैसे कट्टरपंथी दलों के नेताओं का सम्मान किया गया. इसमें भारत के खिलाफ सबसे मुखर भूमिका निभा रहे जमात-ए-इस्लामी के सरगना शफीकुर रहमान को खास तवज्जो दी गई थी. चीन लंबे समय से बांग्लादेश में भारत के प्रभाव को घटाकर अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश करता रहा है. अब उसे यह मौका मिल गया है. इस समय बांग्लादेश में उसके राजदूत याओ वेन सबसे ज्यादा एक्टिव दिख रहे हैं. पाकिस्तान द्वारा भी बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने और भारत के खिलाफ उन्हें हथियारों से लड़ाई छेड़ने के लिए प्रेरित करने की जानकारी सामने आई है. पाकिस्तान करीब 58 साल बाद बांग्लादेश में इन लोगों को फिर से हथियार भेज रहा है. सोशल मीडिया पर भी बांग्लादेश में भारत विरोधी कैंपेन चलाने के पीछे पाकिस्तानी हैकर्स का हाथ सामने आया है.
बांग्लादेश में अब भी फरार हैं छात्र आंदोलन में जेल से भागे 700 कैदी
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ जुलाई-अगस्त में हुए छात्र आंदोलन के दौरान जेल से बड़े पैमाने पर कैदियों को छुड़ाकर फरार करा दिया गया था. जेल महानिरीक्षक ब्रिगेडियर जनरल सैयद मोहम्मद मोताहिर ने ऐसे कम से कम 700 कैदी अब भी फरार होने की बात कही है, जिनमें कम से कम 70 आतंकवादी और मौत की सजा पाए हुए खूंखार अपराधी हैं. हुसैन ने कहा कि करीब 2,200 कैदी जेलों से भागे थे, जिनमें से 1500 वापस जेल लौट आए हैं या कानूनी एजेंसियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन 700 कैदी अब भी फरार हैं.
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बांग्लादेश का एक और भारत विरोधी कदम, कोलकाता-त्रिपुरा से वापस बुलाए डिप्लोमेट्स