डीएनए हिंदी : भारतीक्ष संस्कृति में आयुर्वेद और आयुष उत्पादों का विशेष स्थान है किन्तु कोरोना की वैश्विक महामारी ने इन उत्पादों को वैश्विक लोकप्रियता में शुमार किया है. इसका नतीजा ये हुआ कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीयों ने तो इसकी खरीदारी की ही, किन्तु इस मुश्किल घड़ी में दुनियावालों ने भी आयुष उत्पादों पर अपना भरोसा ज़ाहिर किया है. दुनिया का ये भरोसा आयुर्वेद के लिए एक सकारात्मक संकेत साबित हो सकता है.
18 अरब डॉलर का बाजार
दरअसल, साल 2020 में आई कोरोना महामारी के बाद से आयुष को लेकर लोगों में भरोसा बढ़ा है. आयुर्वेद के साथ ही आयुष से जुड़ी होम्योपैथी, यूनानी, सिद्धा और योग आदि पद्धतियों के उपचारों को भी लोगों ने बड़ी संख्या में स्वीकृत किया है. यही कारण है कि आयुष का बाजार आज कुछ वर्षों में ही काफी बढ़ गया है.
बड़ी बात ये है कि आयुष के बाजार 2014-20 में 17 प्रतिशत बढ़कर 18.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि महामारी के कारण 2020 में आर्थिक गतिविधियों में मंदी के बावजूद, उद्योग के 2021 में 20.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2022 में 23.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का होने की संभावना है.
भारतीय कंपनी की ऐतिहासिक उड़ान
आयुष मंत्रालय की सार्वजनिक क्षेत्र की निर्माण इकाई इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड IMPCAL ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 164.33 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार किया है. इस कारोबार को एक वित्त वर्ष में कंपनी के इतिहास में हासिल की गई सबसे अधिक संख्या बताया जा रहा है. इसके साथ ही साल के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये का सर्वकालिक उच्च लाभ हासिल किया है.
गौरतलब है कि दुनिया की तुलना में भारत का आयुष बाजार तेजी से बढ़ा है. हालांकि बाजार का लगभग 2.8 प्रतिशत हिस्सा ऐसा भी है जिसके उत्पादन में बाधा भी पहुंची है. भारत में शुरू किए गए स्टार्ट अप्स और संबंधित ईकोसिस्टम ने आत्मनिर्भर भारत के लॉन्ग टर्म विजन को बढ़ाने में भी योगदान दिया है, और ये भारत के लिए सकारात्मक संकेत है.
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