डीएनए हिंदी: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया है. लॉ कमीशन के सचिव ने AIMPLB को यूसीसी के संबंध में जनता से राय और विचार मांगने के बाद सही प्रतिक्रिया देने का अनुरोध किया था.  AIMPLB ने समान नागरिक संहिता पर एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे लॉ कमीशन को सौंप दिया गया है.

मुस्लिम बोर्ड ने प्रस्तावित कानून पर अपनी आपत्तियां जताई हैं. मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह उनके धार्मिक हितों के खिलाफ होगा. बोर्ड की कार्य समिति ने यूसीसी पर प्रतिक्रिया के मसौदे को मंजूरी दे दी थी. बुधवार को, इसे बोर्ड की एक वर्चुअल बैठक में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया. बैठक सुबह 10 बजे से शुरू हुई थी.

AIMPLB ने अपने ड्राफ्ट में कहा क्या है?

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि यह देश की अलग-अलग धार्मिक संस्कृतियों के खिलाफ है. मु्स्लिम बोर्ड को जेंडर जस्टिस, सेक्युलरिज्म, राष्ट्रीय एकता से लेकर तमाम रीति-रिवाजों पर इसके प्रभाव को लेकर आपत्ति है. मुस्लिम बोर्ड ने कहा है कि अनुच्छेद 25, 26 और 29 धार्मिक मौलिक अधिकारों के संबंध में है. यह हमारे देश का लोकतांत्रिक ढांचा है. यूसीसी से यह प्रभावित होगा.

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि समान नागरिक संहिता पर दिए गए नोटिस में कई चीजें साफ नहीं हैं. विधि आयोग ने अलग-अलग पक्षों और हितधारकों को यूसीसी के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 14 जुलाई तक का समय दिया था.

मुस्लिम बोर्ड को समान नागरिक संहिता पर है ऐतराज

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से यूसीसी का विरोध किया. बोर्ड ने कहा है कि इस देश में यूसीसी की कोई जरूरत नहीं है. यह मुद्दा केवल मुस्लिमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों तक सीमित है. पांच साल पहले, 21वें विधि आयोग ने कहा था कि देश को यूसीसी की जरूरत नहीं है.

'यूसीसी की मुस्लिम समाज को नहीं है जरूरत'

मुस्लिम बोर्ड ने कहा, 'समान नागरिक संहिता राजनीति और प्रचार का साधन रही है. लॉ कमीशन पहले भी यह कह चुका है कि यूसीसी न तो जरूरी है, न ही वांछनीय है. इतने कम समय में, यह देखकर आश्चर्य होता है कि एक के बाद एक आयोग फिर से जनता की राय मांग रहा है, बिना कोई खाका बताए कि आयोग क्या करना चाहता है.'

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड.

संविधान का हवाला देकर UCC पर वार

मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, 'हमारे राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़, भारत का संविधान, विवेकपूर्ण तरीके से और देश को एकजुट रखने के इरादे से स्वयं एक समान प्रकृति का नहीं है. विविधता, संविधान का स्वभाव है. समुदायों को अलग-अलग अधिकारों का हकदार बनाया गया है. अलग अलग धर्मों को अलग-अलग जगह दी गई है.'

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड.

इन बातों पर है मुस्लिम बोर्ड को आपत्ति

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, '21वें विधि आयोग द्वारा तैयार परामर्श रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद, सरकार इस पर पूरी तरह से चुप है कि क्या उसने इसे पूरी तरह से या आंशिक रूप से स्वीकार किया है. न ही सरकार ने यह बताया है कि उसने 21वें विधि आयोग के निष्कर्षों की व्याख्या करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. यदि उसने 21वें विधि आयोग के संपूर्ण या कुछ निष्कर्षों को खारिज कर दिया था, तो उसने ऐसी अस्वीकृति के अपने कारण का खुलासा नहीं किया है.'

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All India Muslim Personal Law Board opposes Uniform Civil Code sends draft to Law Commission
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समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, लॉ कमीशन को ड्राफ्ट भेजकर ज
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समान नागरिक संहिता के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, लॉ कमीशन को ड्राफ्ट भेजकर जताई नाराजगी