Weather Updates: मानसून सीजन में इस बार शुरुआत में जहां बारिश का असर फीका रहा, वहीं जुलाई में देश में मानसूनी हवाओं के जोर पकड़ने के बाद हर तरफ झमाझम बारिश हुई है. बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में इस समय भी बाढ़ ने तबाही मचा रखी है. हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने दक्षिणपश्चिमी मानसून (Southwest Monsoon 2024) के ऑफिशियल सीजन के अंत की घोषणा कर दी है, जो भारत में 1 जून से 30 सितंबर तक माना जाता है. IMD के आंकड़ों के हिसाब से इस बार मानसून के चार महीने के सीजन को लेकर जो अनुमान लगाया गया था, मानसूनी बारिश उससे कहीं ज्यादा हुई है. IMD के मुताबिक, इस बार सीजन के दौरान लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के हिसाब से करीब 108 फीसदी बारिश हुई है, जो सामान्य मानसून सीजन से करीब 8 फीसदी ज्यादा है. हालांकि इसमें 4% कम या ज्यादा का वेरिएशन भी तय किया गया है. इतनी ज्यादा बारिश के बावजूद IMD डाटा के हिसाब से देश का 11% इलाका ऐसा है, जहां बेहद कम बारिश दर्ज की गई है. इनमें पंजाब जैसे कृषि आधारित राज्य के साथ ही जम्मू-कश्मीर भी शामिल है.
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इतनी ज्यादा बारिश के बावजूद उत्तर-पूर्वी भारत समेत करीब 11 फीसदी इलाके इस बार बाकी देश के मुकाबले 'सूखे' रह गए हैं. असम में जहां शुरुआत से ही बारिश का कहर देखने को मिला, लेकिन बाकी उत्तर पूर्वी राज्यों में अगस्त-सितंबर के दौरान ही इतनी जमकर बारिश हुई कि वहां भी बाढ़ का नजारा देखने को मिला. इसके बावजूद देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में उनके LPA के मुकाबले 86 फीसदी बारिश ही दर्ज की गई है, जो देश के बाकी हिस्से के मुकाबले इस इलाके को 'सूखा' ही साबित करती है. इनमें भी सबसे कम बारिश अरुणाचल प्रदेश में दर्ज की गई है, जो दक्षिणी तिब्बत से सटा होने के कारण सामरिक रूप से भी अहम है. उत्तर-पूर्वी भारत के अलावा पंजाब, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बेहद कम बारिश हुई है.
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LPA यानी बारिश का दीर्घकालीन औसत, जो किसी खास इलाके में दर्ज हुई बारिश को कई सालों की बारिश के औसत के अनुपात में आंककर तय किया जाता है.
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मध्य भारत में उसके LPA के हिसाब से करीब 119 फीसदी बारिश हुई है, जो करीब 19 फीसदी ज्यादा है, जबकि साउत पेनिनसुला में 114 फीसदी, उत्तर-पश्चिम भारत में 107 फीसदी बारिश दर्ज की गई है.
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मानूसन के कोर जोन में LPA के मुकाबले 122 फीसदी बारिश दर्ज की गई है. यह कोर जोन ही भारत में बारिश आधारित खेती वाला मुख्य इलाका है. इसे भारत में कृषि गतिविधियों के लिए पॉजिटिव आउटलुक के तौर पर देखा जा रहा है.
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IMD डाटा के हिसाब से 36 मेट्रोलॉजिकल सबडिवीजन में बंटे देश के 9 फीसदी हिस्से में बेहद भारी बारिश हुई है, जबकि 26 फीसदी हिस्से में भारी बारिश और 54 फीसदी इलाके में सामान्य बारिश दर्ज की गई है.
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IMD डाटा के हिसाब से जून में जहां 89 फीसदी बारिश हुई, वहीं जुलाई में 109 फीसदी मानसूनी बारिश दर्ज की गई है. इसके उलट अगस्त और सितंबर में जमकर पानी बरसा है. अगस्त में LPA का 115 फीसदी और सितंबर में 112 फीसदी पानी बादलों से जमीन पर पहुंचा है.
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IMD ने इस बार मानसून के तय समय से पहले आने का अनुमान जताया था. यह अनुमान सही साबित हुआ था. मानसून 19 मई को अपने तय समय पर अंडमान व निकोबार द्वीप समूह पहुंच गया था, लेकिन केरल में यह 1 जून की सामान्य तारीख से दो दिन एडवांस यानी 30 मई को ही बरसने लगा था.
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मानसूनी बारिश ने पूरे देश को कवर करने में 8 जुलाई के सामान्य समय के मुकाबले इस बार 2 जुलाई को ही यह कारनामा कर दिखाया था. इस बार मानसून की विदाई भी 23 सितंबर की सामान्य तारीख के मुकाबले करीब 6 दिन देरी से हुई है.
Short Title
इस मानसून में सामान्य से 8% ज्यादा बरसा पानी, फिर भी 11% इलाका रह गया 'सूखा'