डीएनए हिंदी: किसी भी ट्रांसजेंडर के लिए हमारे समाज में रहना, जीना और अपनी जगह बना पाना काफी मुश्किल काम है. बेशक हम 21वीं सदी में हैं, लेकिन आज भी लोग किसी ट्रांसजेंडर को हिकारत भरी नजरों से देखते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उनकी तरफ देखना तक नहीं चाहते. ऐसे में एक मुकाम हासिल कर दूसरों के लिए प्रेरणा बनना कितना मुश्किल होता होगा, ये सोचा जा सकता है. फिर भी हमारे सामने ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने ये मुकाम हासिल किया और अपने क्षेत्र में अपना अलग और खास मुकाम बनाया.
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तमिलनाडु जैसे उच्च शिक्षादर वाले प्रदेश से होने के बावजूद भी सत्याश्री शर्मिला का सफर आसान नहीं रहा. साल 2018 में शर्मिला को तमिलनाडु की पहली ट्रांसजेंडर वकील के तौर पर रजिस्टर किया गया. 2007 में उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री पूरी की थी, लेकिन उन्हें पूरा एक दशक लगा इतनी हिम्मत जुटाने में जिससे कि वह खुद को एक वकील के तौर पर रजिस्टर करवा सकें. इस दौरान वह ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट के तौर पर काम करती रहीं. इसी दौरान उन्होंने अपने समुदाय को हक दिलाने के लिए बतौर वकील खुद को रजिस्टर कराने की हिम्मत जुटाई. वह भारत के उन चुनिंदा ट्रांसजेंडर्स में शामिल हैं, जो वकील के तौर पर रजिस्टर हैं और अपनी पहचान बना चुके हैं.
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साल 2017 में जॉयिता मंडल बंगाल की लोक अदालत में बतौर जज नियुक्त होने वाली भारत की पहली ट्रांसजेंडर थीं. उन्होंने हमेशा अपने समुदाय के लोगों के हक के लिए आवाज उठाई. वह सरकार से ट्रांसजेंडर लोगों के लिए नौकरियों में आरक्षण की मांग करती रहीं. ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करते हुए उन्हें कानून में डिग्री लेने का विचार आया और अब वह बतौर जज एक मिसाल कायम कर चुकी हैं.
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प्रिथिका यशिनी भारत की पहली ट्रांसजेंडर हैं, जो बतौर पुलिस ऑफिसर अपनी सेवाएं दे रही हैं. शुरुआत में उनके जेंडर की वजह से उनकी एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया हया था. इसके खिलाफ उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी. इसके बाद उन्होंने पुलिस परीक्षा दी और उसमें पास भी हुईं. परिवार का साथ ना मिलने की वजह से प्रिथिका को अपना घर छोड़ना पड़ा था, लेकिन आज वह जिस मुकाम पर हैं, कई लोगों के लिए प्रेरणा देने का काम कर रही हैं.
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निताशा बिस्वास देश के पहले ट्रांस ब्यूटी पेजेंट कॉन्टेस्ट की विजेता हैं. उन्हें उनके परिवार ने छोड़ दिया था, लेकिन इससे उनके सपनों पर कोई आंच नहीं आई. उन्होंने मॉडलिंग में करियर बनाया. उनका साथ देने के लिए कोई नहीं था. फैशन की दुनिया में उन्होंने ना सिर्फ बतौर मॉडल बल्कि स्टाइलिस्ट और मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर भी काम किया. साल 2017 में उन्होंने ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद साल 2019 में मिस इंटरनेशनल क्वीन और मिस ट्रांस ऑस्ट्रेलिया जैसे खिताब भी जीते.
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मनाबी बंदोपाध्याय ट्रांसजेंडर समाज का एक चर्चित चेहरा हैं. वह साल 2015 में कृष्णानगर वुमंस कॉलेज में पहली ट्रांसजेंडर प्रिंसिपल के तौर पर पहचानी गईं.साथ ही वह भारत की पहली ट्रांसजेंडर हैं, जिसने पीएचडी की डिग्री पूरी की है. वह विवेकानंद सतोबार्षिकी महाविद्लाय में बंगाली की असिस्टेंट प्रोफेसर भी रह चुकी हैं. सन् 1995 में उन्होंने ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के लिए ओह-मनब नाम से एक मैग्जीन की भी शुरुआत की थी.