उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की स्थापना संगठित अपराध को खत्म करने के लिए किया गया था. इसके बाद कई राज्यों में इस तरह की स्पेशल फोर्सेज की स्थापना की गई. आज भी यूपी एसटीएफ को खास ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
Slide Photos
Image
Caption
उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की स्थापना 4 मई 1998 को हुई थी. उस समय यूपी पुलिस के एडीजी ने 50 चुनिंदा पुलिस अफसरों और जवानों को चुनकर इस खास फोर्स की स्थापना की थी.
Image
Caption
एसटीएफ की अगुवाई एक अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) रैंक का अधिकारी करता है. साथ में एक पुलिस महानिरीक्षक (IG) की भी नियुक्ति की जाती है. अलग-अलग मामलों के लिए एसटीएफ की टीमें बनाई जाती हैं. इन टीमों की अगुवाई डिप्टी एसपी या एसपी करता है.
Image
Caption
अपराधियों को पकड़ने के लिए यूपी एसटीएफ अपने खुफिया तंत्र की मदद लेती है. इसके अलावा तगड़ी रणनीति, सर्विलांस के अत्याधुनिक तरीकों और तेज जांच की वजह से एसटीएफ काफी आसानी से अपराधियों को खोज निकालती है.
Image
Caption
स्थापना के समय एसटीएफ का मकसद आतंकी गतिविधियों को रोकना और अपराधियों के गैंग का खात्मा करना है. शुरुआत में भी एसटीएफ ने श्रीप्रकाश शुक्ला के गैंग के खात्मे से ही काम शुरू किया था.
Image
Caption
एसटीएफ का टार्गेट डकैतों, जिले स्तर के अपराधियों और संगठित अपराधों की रोकथाम है. अक्सर शराब माफिया, डकैतों के गैंग, लगातार चोरी-छिनैती के कामों शामिल शातिर अपराधियों और फिरौती जैसे कामों का गिरोह चलाने वाले अपराधियों पर एसटीएफ सख्त कार्रवाई करती है.