चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम करने वाले प्रशांत किशोर अब अपनी पार्टी बनाने की तैयारी में हैं. कहा जा रहा है कि वह बिहार में अपनी पार्टी खड़ी कर सकते हैं.
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प्रशांत किशोर मुख्य रूप से कैंपेन मैनेजर और चुनावी रणनीतिकार हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी के साथ काम करने वाले प्रशांत किशोर ने I-PAC नाम से अपनी कंपनी खड़ी की है. उनकी कंपनी अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी कैंपेन का काम करती है. पिछले कुछ सालों में कई नेताओं के साथ काम करने वाले प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश भी की. जब कांग्रेस से बात नहीं बन पाई तो उन्होंने अपनी पार्टी बनाने का इशारा किया है. आइए उनके इस पॉलिटिकल करियर पर एक नज़र डालते हैं...
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2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के कैंपेन में 'चाय पर चर्चा', वर्चुअल रैली जैसे कई नई चीजों का इस्तेमाल किया गया. बाद में प्रशांत किशोर एक कैंपेन मैनेजर के रूप में उभरकर सामने आए. हालांकि, बहुत कम समय में ही प्रशांत किशोर की राहें नरेंद्र मोदी से अलग हो गईं.
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साल 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ. इस चुनाव में प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे. हालांकि, नरेंद्र मोदी के नाम की लहर के आगे कांग्रेस और सपा दोनों पस्त हो गईं और पीके का जादू नहीं चल पाया. जल्द ही प्रशांत किशोर कांग्रेस से अलग हो गए.
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साल 2018 में प्रशांत किशोर बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए. कहा गया कि नीतीश कुमार के राजनीतिक वारिस वही होंगे. हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव आते-आते प्रशांत किशोर अपनी पार्टी के खिलाफ ही बयान देने लग गए. कुछ दिन बाद वह जेडीयू से भी अलग हो गए.
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साल 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब सरकार में वापसी की राह देख रहे थे. उनके सामने सत्ताधारी अकाली दल के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी थी. कैप्टन ने प्रशांत किशोर को अपने साथ लिया और सरकार बनाने में कामयाब रहे. खुद प्रशांत किशोर मानते हैं कि उनके लिए आम आदमी पार्टी को रोकना चुनौती भरा काम था. 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रशांत किशोर को अपना सलाहकार नियुक्त किया था, लेकिन पीके ने वह पद भी छोड़ दिया.
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लोकसभा चुनाव 2019 के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हुए. चंद्रबाबू नायडू की सरकार को हटाने के लिए संषर्ष कर रहे जगन मोहन रेड्डी ने प्रशांत किशोर से संपर्क साधा. फिर दोनों ने मिलकर काम किया और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस को बंपर जीत मिली.
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लोकसभा चुनाव में दिल्ली की एक भी सीट न जीत पाने के बाद आम आदमी पार्टी के कान खड़े हो गए थे. अगले साल विधानसभा के चुनावों को देखते हुए अरविंद केजरीवाल ने भी प्रशांत किशोर की मदद ली. कभी केजरीवाल के खिलाफ कैंपेन कर चुके पीके ने इस बार केजरीवाल के साथ काम किया और दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर सरकार बना ली. इसके बाद चर्चा भी चली कि प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन फिर पीके बंगाल चले गए.
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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को हटाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक रखी थी. इस बार ममता बनर्जी के लिए प्रचार का जिम्मा संभाल रहे थे प्रशांत किशोर. चुनाव के आखिर तक मामला इतना तनावपूर्ण था कि प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर बीजेपी 100 सीटें ले आई तो वह यह काम ही छोड़ देंगे. खैर, ममता बनर्जी फिर से सीएम बन गईं और प्रशांत किशोर एक बार फिर कुशल रणनीतिकार साबित हुए. बाद में पीके ने ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए गोवा समेत कई अन्य राज्यों में भी काम किया और अभी भी उनके संबंध अच्छे हैं.
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प्रशांत किशोर का मानना है कि देश में तीसरा मोर्चा जैसी कोई चीज कभी सफल नहीं हो सकती. इसीलिए, वह समझते हैं कि कांग्रेस जैसा कोई बड़ा दल ही बीजेपी को चुनौती दे सकता है. यही कारण था कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने की पूरी कोशिश की. हालांकि, उनकी बात नहीं बनी और अब वह अपनी अलग राह पर निकल पड़े हैं.
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अब प्रशांत किशोर ने संकेत दिए हैं कि वह अपनी खुद की पार्टी बना सकते हैं. बीच में कुछ समय युवा नेताओं को तैयार में जुटे प्रशांत किशोर फिर से बिहार से शुरुआत करने जा रहे हैं. हालांकि, राजनीतिक पार्टी खड़ी करना और जीत हासिल करना इतना आसान काम नहीं होगा. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि इस बार प्रशांत किशोर कुछ नया करते हैं, या कुछ महीने में फिर कोई अलग राह पकड़ लेते हैं.
Short Title
Narendra Modi के कैंपेन से की थी शुरुआत, अब खुद की पार्टी बनाएंगे प्रशांत किशोर