डीएनए हिंदी: नए साल की पहली तारीख के साथ जहां नजर उम्मीदों और महामारी को हराकर जीत दर्ज करने की तरफ है, वहीं ओमिक्रॉन मामलों का ताजा अपडेट चिंताजनक है. अब देश भर में ओमिक्रॉन के 1431 मामले दर्ज हो चुके हैं. कल तक ये संख्या 1270 पर थी. एक ही दिन में देश भर में 161 नए केस दर्ज किए गए हैं.
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एक शोध में सामने आया है कि ओमिक्रोन किसी प्लास्टिक की चीज पर 8 घंटे तक और त्वचा पर 21 घंटे तक जीवित रह सकता है. अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस के इससे पहले के वेरिएंट अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा इतने लंबे समय तक मानव शरीर पर जिंदा नहीं रह पाते थे.
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गोवा, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, मणिपुर और पंजाब में फिलहाल ओमिक्रॉन का सिर्फ एक ही मामला है. वहीं जम्मू-कश्मीर और अंडमान-निकोबार में क्रमशः 3 और 2 मामले दर्ज हो चुके हैं.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ओमिक्रॉन के 1,270 मरीजों में से 374 मरीज रिकवर हो गए हैं. वहीं एम्स प्रमुख रणदीप गुलेरिया का कहना है कि ओमिक्रॉन से घबराने की जरूरत नहीं है. इससे माइल्ड लक्षण होते हैं. ज्यादातर मामलों में होम आइसोलेशन कारगर है और मरीज घर पर रहकर ही ठीक हो सकते हैं.
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अभी इसे प्री-प्रिंट पर पोस्ट किया गया है और इसकी पूर्ण समीक्षा नहीं हुई है. इस अध्ययन में ओमिक्रोन का SARS-CoV-2 के वुहान स्ट्रेन और अन्य चिंताजनक वेरिएंट्स के साथ पर्यावरणीय स्थिरता में अंतर का विश्लेषण किया गया है.
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ओमिक्रॉन से पीड़ित व्यक्ति को सांस फूलने या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या नहीं होती है. डेल्टा वेरिेएंट का प्रमुख लक्षण ही है सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ होना. शोध के मुताबिक ये वेरिएंट आपके गले को प्रभावित करता है, फेफड़ों पर उतना असर नहीं करता. इससे पीड़ित व्यक्ति को बुखार, सिर दर्द, जुकाम और खांसी की समस्या होती है.