उत्तर प्रदेश के लखनऊ (Lucknow) और रायबरेली (Raebareli) में सीवर की सफाई करते वक्त 4 सफाई कर्मचारियों की हाल ही में मौत हो गई. दोनों ही मामलों में नगर विकास विभाग की तरफ से लापरवाही बरतने को लेकर रायबरेली और लखनऊ के नगर आयुक्त से रिपोर्ट मांगी ली गई है. देश में मैनहोल की सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों की मौत का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं होती रही हैं.
Slide Photos
Image
Caption
सीवर की सफाई के दौरान हुई मौत का मामला समय-समय पर संसद में भी उठता रहा है. साल 2021 में महाराष्ट्र के लातुर से बीजेपी सांसद सुधाकर तुकाराम ने लोकसभा में पिछले 5 साल में सीवर की सफाई करते समय हुई लोगों की मौत के आंकड़े को लेकर सवाल पूछा. इसका जवाब देते हुए मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट ने लोकसभा में बताया कि साल 2015 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक पूरे देश में 340 लोगों की जान गई.
Image
Caption
सरकार के मुताबिक इन 5 सालों में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 52 लोगों की मौत हुई. तमिलनाडु में 43 लोगों ने, दिल्ली में 36 सफाई कर्मचारियों ने सीवर की सफाई करते हुए अपनी जान गंवाई.
Image
Caption
संसद के मौजूदा सत्र में भी 16 मार्च को TDP के राज्यसभा सांसद कनकमेदला रवींद्र कुमार ने गंदे नालों और सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई करने से होने संबंधी मौत का आंकड़ा पूछा, जिसके जवाब में मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट ने बताया कि साल 2021 में 24 लोगों की मौत हुई है. हालांकि 2019 की तुलना में इस आंकड़े में काफी कमी आई है.
Image
Caption
साल 2019 में 118 लोगों ने सीवर की सफाई का काम करते हुए अपनी जान गंवाई. कुल मिलाकर देखा जाए तो साल 2015 से लेकर साल 2021 तक देश में सीवर की सफाई के दौरान 364 लोगों की मौत हुई है.
Image
Caption
देश मेंप्रोहिबिशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एज मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट, 2013, 6 दिसंबर 2013 से लागू है. इस कानून के तहत सीवर की हाथ से सफाई करवाना प्रतिबंधित है. कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है. अगर किसी सीवर की सफाई मशीन से नहीं हो सकती है उसी स्थिति में हाथ से सफाई की इजाज़त नगरपालिका का मुख्य कार्यकारी अधिकारी देगा लेकिन इसके लिए उसे लिखित रूप में कारण भी बताने होंगे.