हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती और बर्फ से ढंकी पहाड़ियों की वजह से देवभूमि भी कहते हैं. देवभूमि यानी कि जहां देवताओं का वास होता हो. मनाली के पास बर्फ से प्राकृतिक तौर पर बनने वाले शिवलिंग को देखकर यह वाकई सच लगने लगता है. इस शिवलिंग की मान्यता काफी है और हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
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अंजनी महादेव मंदिर में भारी बर्फबारी के बाद यह शिवलिंग बनता है. इसकी ऊंचाई 20 से 30 फीट तक होती है. इसे माता अंजनी की तपोस्थली भी कहा जाता है. हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कहते हैं कि यहां मांगने पर हर मन्नत पूरी होती है.
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बताया जाता है कि माता अंजनी इस स्थान पर बनते शिवलिंग की पूजा व तपस्या करती थीं. दूर-दूर से श्रधालु बड़ी संख्या में बाबा के इस विशाल रूप के दर्शन करने के लिए आते हैंय हर साल दिसंबर से मार्च तक प्राकृतिक शिवलिंग बनता है. खुले आसमान में सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिसंबरमें इस स्थान में यह प्राकृतिक शिवलिंग रूप लेना शुरू कर देता है.
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दिसंबर और जनवरी में इस इलाके में भारी बर्फबारी होती है. जनवरी में शिवलिंग की उंचाई लगभग 20 से 30 फीट हो जाती है. हजारों की संख्या में सैलानी और श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं. इन दिनों यहाँ सैलानी बाबा के दर्शन के साथ-साथ बर्फ से जुड़ी गतिविधियों का भी जमकर लुत्फ उठाते हैं.
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ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में माता अंजनी ने पुत्र प्राप्ति और मुक्ति पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. माता अंजनी की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने ने दर्शन दिए थे. कहते हैं कि उसके बाद से ही यहां पर प्राकृतिक तौर पर बर्फ का शिवलिंग बनने लगा है.
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मनाली से 25 किमी दूर सोलंग नाला में यह शिवलिंग बनता है. सोलंग नाला से करीब 4 किलोमीटर ऊपर अंजनी महादेव है. शिवलिंग की मान्यता इतनी है कि श्रद्धालु मुश्किल चढ़ाई पार करके यहां तक पहुंचते हैं.