डीएनए हिंदी: World Alzheimer's Day 2022: अल्जाइमर एक मानसिक बीमारी है. यह बीमारी लोगों में हर साल तेजी से बढ़ती जा रही है. इसका मुख्य कारण हमारी दिन-प्रतिदिन बिगड़ती लाइफस्टाइल है. वैसे तो ये बीमारी बुर्जगों में अधिक देखने को मिलती है पर बढ़ते तनाव और डिप्रेशन की वजह से अब युवा पीढ़ी भी इसकी चपेट में आ गई है. इसलिए विश्व में अल्जाइमर की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 21 सितंबर 1994 को एडिनबर्ग में एडीआई के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर शुरू हुई थी. आइए जानते है किस तरह से अल्जाइमर को ठीक किया जा सकता है .
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अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है. यह एक प्रगतिशील बीमारी है जो हल्के स्मृति (memory loss) हानि से शुरू होती है और संभवतः बातचीत करने और पर्यावरण पर प्रतिक्रिया करने की क्षमता के नुकसान की ओर ले जाती है. अल्जाइमर रोग (what is alzheimer) में मस्तिष्क वो हिस्से शामिल होते हैं जो विचार, स्मृति और भाषा को नियंत्रित करते हैं. अल्जाइमर बीमारी बढ़ती रहती है जो याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों को काफी नुकसान पहुंचाती है. इस बीमारी से हमारी बौद्धिक क्षमता बेहद कम हो जाती है. इस बीमारी में इंसान के मस्तिष्क की कोशिकाएं खुद से बनने के साथ खत्म होने लगती हैं. इस बीमारी की में शुरुआत में इंसान बातें भूलने लगता है. वहीं समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए यह काफी खतरनाक साबित हो सकती है.
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अल्जाइमर रोग की सबसे बड़ी पहचान (Symptoms of Alzheimer) भूलने की समस्या या कमजोर याददाश्त है पर इस गंभीर दिमागी बीमारी का बस यही इकलौता लक्षण या पहचान नहीं है. इसके अलावा भी कई तरह के लक्षण होते हैं जो अल्जाइमर को पहचानने में मदद करते हैं. जैसे बात करने में दिक्कतें आना(jumbled speech), बार-बार उलझन का सामना करना (confusion), याददाश्त का खो जाना (memory loss), पागलपन (mental illness), गु्स्सा आना (Quick Aggression), भूख न लगना ( loss of appetite) चीजों को रखकर भूल जाना आदि. एक बात का ध्यान जरूर दें कि अल्जाइमर के बढ़ने के साथ-साथ मस्तिष्क में कई बदलाव होते हैं जिसके कारण समय के साथ ये लक्षण भी बदलते रहते हैं.
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अल्जाइमर (stages of Alzheimer's) अचानक से फैलने वाली बीमारी नहीं है. इसकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है पर एक बार ये शुरू हो जाए तो लगातार बढ़ते रहती है. इसके मुख्यत तीन चरण होते हैं. पहले चरण में व्यक्ति रोजमर्रा से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है. जैसे हाल ही में मिले लोगों के नाम, चीजें रखकर भूल जाना, किसी की कही बात को भूल जाना आदि. व्यक्ति में ये बदलाव इतने हल्के होते हैं कि आसानी से पता नहीं चल पाता कि व्यक्ति को अल्जाइमर है या नहीं, केवल एक पीईटी स्कैन (PET SCAN) ही यह बता सकता है कि किसी व्यक्ति को अल्जाइमर है या नहीं.
अल्जाइमर (How does Alzheimer's affect the brain) का दूसरे चरण काफी लंबा होता है और कई सालों तक रह सकता है. जैसे-जैसे ये बीमारी बढ़ती है अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. इस बीमारी में व्यक्ति अक्सर भ्रमित होकर अजीब ढंग से बर्ताव करने लगता है जैसे अपने खुद के बारे में भूल जाना, खुद के घर का पता, फोन नंबर, हाई स्कूल या कॉलेज को याद ना कर पाना. अल्जाइमर के तीसरे चरण में अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति की कई बुनियादी क्षमताएं, जैसे खाना, चलना और उठना, इस दौरान कमजोर हो जाती है. इसके लिए उन्हें दूसरों की मदद लेनी पड़ती है. इतना ही नहीं मस्तिष्क की कोशिकाएं इतनी तेजी से बनती और टूटती हैं कि किसी भी चीज को अच्छे से याद कर बेहद मुश्किल हो जाता है.
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क्या अल्जाइमर बीमारी को होने रोका जा सकता है ? दरसअल अल्जाइमर (How to prevent Alzheimer's) को लेकर वैज्ञानिक दिन-प्रतिदिन खोज में लगे हुए हैं ताकि इस बीमारी का पूरी तरह से कोई कारगर इलाज ढूंढ सके. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हृदय से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने से अल्जाइमर के जोखिम को भी कम किया जा सकता है. हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाने वाले कई कारक अल्जाइमर का खतरा भी बढ़ा सकते हैं. इन कारकों में मुख्यत: हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, हार्ट अटैक आदि शामिल हैं. अल्जाइमर की शिकायत अधिकतर उन लोगों में पाई जाती है जिनका ब्रेन हेल्दी नहीं होता. चूंकि मस्तिष्क ही आपके शरीर की कंट्रोल यूनिट होती है तो उसका स्वस्थ रहना भी बेहद जरूरी है इसलिए अपने मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि आप रोजाना एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट लें. आप रोजाना मेडिटेशन, योगा, श्वास क्रियाएं, रनिंग आदि करके अपने शरीर को ही नहीं बल्कि अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ रख सकते हैं.
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क्या आप लोग जानतें हैं शरीर में आधे से ज्यादा बीमारी हमारी बेकार लाइफस्टाइल की वजह से दस्तक देती है. हम में से ज्यादातर लोग खाते (Which diet is beneficial for Alzheimer's) समय बिल्कुल भी नहीं सोचते कि जिस फूड को हम लेते हैं उसके दूरगामी प्रभाव क्या होंगे. हम आपको बता दें कि अगर आप अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर कर लें तो आपको बीमार ही नहीं होना पड़ेगा साथ ही आपके शरीर के साथ मस्तिष्क भी एकदम स्वस्थ रहेगा. अगर आपको अल्जाइमर है तो आपको स्मोकिंग और शराब का सेवन छोड़ना होगा. अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाना होगा इसके लिए आप ड्राई फ्रूट्स, पनीर, दूध, मछली आदि को शामिल कर सकते हैं. आप रोजाना एक एक स्वस्थ, संतुलित आहार लें जिसमें प्रतिदिन फल और हरी सब्जियां शामिल हों. अगर आपको अल्जाइमर के अलावा अन्य कोई दूसरी बीमारी भी है जैसे मधुमेह या अन्य कोई तो अपनी डाइट बदलने से पहले अपने डॉक्टर के साथ एक बार परामर्श जरूर करें.
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अल्जाइमर काफी जटिल बीमारी है जिसको जड़ से खत्म करने के लिए कोई एक सिद्ध दवा (treatment for alzheimer's) उपलब्ध नहीं है. हालांकि वर्तमान समय में अल्जाइमर की ट्रीटमेंट के लिए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा कई दवाएं स्वीकृत हैं. इनमें Aduhelm (aducanumab), Strocit Plus और Admenta-5 आदि टैबलेट शामिल हैं. इनका प्रयोग अल्जाइमर को ठीक करने और उसे फैलने से रोकने के लिए किया जाता हैं. बाजार में मौजूद ज्यादतर दवाइयां (medicines for alzheimer's) अल्जाइमर के शुरुआती या मध्य चरणों में ही कारगर होती हैं. उदाहरण के लिए वे अल्जाइमर के कुछ लक्षणों को कम कर सकती हैं जैसे कि कुछ समय के लिए याददाश्त खोने को कम करना, उलझनों को कम करना आदि. यहां ये समझना बेहद जरूरी है कि ये दवाइयां अल्जाइमर के लक्षणों को कम तो कर सकती है लेकिन उसे खत्म नहीं कर सकती. अल्जाइमर को ठीक करने के लिए आपको बेहतर डाइट और अच्छी लाइफस्टाइल को फॉलो करना पड़ेगा. इतना ही नहीं आप किसी भी दवाई को बिना डॉक्टर के परामर्श के ना लें.