यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने लाल किले से सूर्यास्त के बाद देश को संबोधित किया है. इस संबोधन के लिए पीएम ने सिख गुरु तेग बहादुर के 400 वें प्रकाश पर्व को चुना है. पीएम ने प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर के बजाए लॉन से अपना संबोधन दिया है. पीएम ने इस मौके पर गुरु के महत्व के साथ उनकी वीरता और पराक्रम को भी नमन किया है. खास बात यह है कि लाल किले से देश को संबोधित करने के साथ पीएम ने पंजाब और सिखों को बड़ा संदेश देने की भी कोशिश की है.
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किले को आयोजन स्थल के रूप में चुने जाने के पीछे अधिकारियों ने कहा कि इसे चुनने के पीछे ठोस वजहें हैं. आयोजन के इसलिए चुना गया क्योंकि यहीं से 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर की जान लेने का आदेश दिया था. नौंवे सिख गुरु को उनकी बहादुरी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए बहुत श्रद्धा से देखा जाता है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि पीएम ने राष्ट्र के संबोधन के लिए लाल किला और खास मौका चुनकर पंजाब और सिख समुदाय के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम का इजहार किया है. हाल में हुए यहां विधानसभा चुनावों में बीजेपी को बुरी तरह से हार मिली है.
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इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया है. बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस कार्यक्रम में अन्य राज्यों के 11 मुख्यमंत्री और देश के प्रमुख सिख नेता शामिल हुए हैं. 400 सिख संगीतकार शबद कीर्तन किया और लंगर का भी आयोजन किया गया था.
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यहां लाल किले के पास में ही गुरु तेगबहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है. ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था. गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है. बड़ी-बड़ी सत्ताएं मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए, लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है.
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पीएम मोदी ने इस मौके पर मजहबी कट्टरता पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी. औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे.
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पीएम मोदी ने इस मौके पर इशारों में ही लाल किला और इससे जुड़े आदर्शों का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है. इस पुण्य अवसर पर सभी दस गुरुओं के चरणों में नमन करता हूं. आप सभी को, सभी देशवासियों को और पूरी दुनिया में गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई देता हूं. ये लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है. इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है.