इस साल जुलाई-अगस्त में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने अपने रिसर्च प्रोग्राम लोकनीति के तहत एक सर्वे किया था. 'इंडियन यूथ: एस्पिरेशन्स एंड विजन फॉर द फ्यूचर' नाम से किए गए एक सर्वे में जर्मन थिंक टैंक Konrad Adenauer Stiftung की भी भागीदारी थी. सर्वे में 18 प्रदेशों के 18 से 34 साल की उम्र के 6, 227 युवा शामिल थे. इस सर्वे के नतीजों में कई दिलचस्प बातें सामने आई हैं.
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सर्वे के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा 82% सिख युवा धार्मिक हैं. वहीं 31% हिंदू युवा तुलनात्मक रूप से कम धार्मिक है. नतीजे बताते हैं कि अन्य धर्म और समुदायों की तुलना में सिख युवा बिना किसी खास तारीख और त्योहार के भी प्रार्थना और अपने धार्मिक स्थलों पर जाना पसंद करते हैं. जहां सिर्फ एक प्रतिशत सिख युवा ऐसे थे जिन्होंने कभी भी पूजा या प्रार्थना ना करने की बात कही तो वहीं इसमें 9 प्रतिशत हिंदू युवा थे जिन्होंने जीवन में कभी पूजा नहीं की ना ही किसी धार्मिक स्थल पर गए.
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शादी के बंधन में बंधने को लेकर युवाओं की सोच काफी बदली हुई नजर आई. 62 प्रतिशत युवा ज्यादा इंटरकास्ट मैरिज के समर्थन में नजर आए, वहीं सिर्फ 45 प्रतिशत ने इंटर रिलीजन शादी के पक्ष में जवाब दिया.
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आज भी करियर को लेकर युवाओं की पहली पसंद सरकारी नौकरी ही है. हालांकि, कोरोना काल के बाद बिजनेस करने में देश के युवाओं का रुझान बढ़ा है.सर्वे में शामिल 55% युवाओं ने करियर विकल्पों में जहां सरकारी नौकरी की तरफ रुझान दिखाया, वहीं 24 प्रतिशत की दिलचस्पी बिजनेस में थी. सिर्फ 9 % युवाओं ने प्राइवेट नौकरी पसंद करने की बात कही.
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सर्वे बताता है कि जब पढ़ाई और उसके परिणाम की बात आती है तो देश में लड़कियां आगे हैं, लेकिन जब नौकरी-रोजगार की बारी आती है तो लड़कियां पीछे रह जाती हैं. पढ़ाई में अव्वल आने वाली 42 प्रतिशत लड़कियों में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही नौकरी के क्षेत्र में आगे बढ़ पाती हैं.
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80 प्रतिशत सिख युवाओं ने किसी भी धर्म पर की जाने वाली हास्य गतिविधि के विरोध का समर्थन किया. सर्वे में शामिल ज्यादातर युवाओं ने किसी भी धर्म पर की जाने वाली टिप्पणी, फिल्म या स्टैंड-अप कॉमेडी को गलत बताया.