मराठा गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती 19 फरवरी को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. महाराष्ट्र में इस मौके पर कई आयोजन होते हैं. गुरिल्ला युद्ध के जनक शिवाजी महाराज की वीरता और युद्ध कौशल ने औरंगजेब और मुगलों की विशाल सेना को धूल चटाई थी. जयंती पर जानें उनके जिंदगी के कुछ दिलचस्प किस्से.
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शिवाजी महाराज के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने योद्धा बनने का सपना बचपन में ही देखा था. शिवाजी अपने हमउम्र बच्चों के साथ धमा-चौकड़ी मचाने वाले खेल नहीं खेलते थे बल्कि किले और दुर्ग जीतने, युद्ध अभ्यास के खेल खेलते थे. खेल के दौरान भी वह हमेशा नेतृत्व करने वाले की भूमिका में ही रहते थे. बड़े होकर वह देश का गौरव बनेंगे इसके संकेत उन्होंने शुरुआत में ही दिए थे.
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शिवाजी को आधुनिक भारत के महान युद्ध कौशल के जनक के रूप में माना जाता है. माना जाता है कि गुरिल्ला पद्धति या छापामार युद्ध की शुरुआत उन्होंने ही की थी. शिवाजी ने इसी युद्ध कौशल के सहारे मुगलों को चकमा दिया था. छापामार युद्ध पद्धति का इस्तेमाल आज भी जंग के मैदानों में दुश्मन को ध्वस्त करने के लिए किया जाता है.
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शिवाजी महाराज ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का सपना देखा था और इसके लिए उन्होंने हिंदवी स्वराज का नारा दिया था. स्वराज का सपना बाद में आजादी की लड़ाई में भी प्रयोग किया गया था. गांधी और तिलक जैसे स्वतंत्रता सेनानी भी स्वराज से प्रभावित थे. हिंदवी स्वराज एक ऐसे समाज का नारा था जिसमें अन्याय और अत्याचार के लिए कोई जगह नहीं थी.
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शिवाजी के जीवन और व्यक्तित्व पर उनके गुरु समर्थ रामदास का बहुत प्रभाव था. उन्होंने अपने जीवन के सभी बड़े फैसले उनसे मशवरा लेकर ही किया था. समर्थ रामदास ने भारत में 1100 से ज्यादा मठ भी स्थापित किए थे.
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शिवाजी की कुलदेवी तुलजा भवानी थीं जिनकी वह उपासना करते थे. महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और आस-पास के इलाके में तुलजा भवानी की उपासना की जाती है. उनके बारे में मान्यता है कि तुलजा भवानी ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिया था और तलवार भी भेंट की थी. लंदन के संग्रहालय में भी इस मान्यता से जुड़ी तस्वीर रखी है.