आम तौर पर दूसरे देशों में जाने के लिए भारतीयों को एंट्री या पास की जरूरत पड़ती है. शायद आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां भारतीयों की एंट्री बैन है लेकिन विदेशियों के लिए खुली हैं. विदेशी पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिले ताकि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिले, इसके पीछे एक वजह होती है. साथ ही, कुछ सांस्कृतिक और स्थानीय वजहें भी होती हैं.
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गोवा में यूं तो बड़ी संख्या में भारतीय और विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं लेकिन यहां कुछ बीच ऐसी हैं जहां भारतीयों की एंट्री बैन है. कुछ बीच खास तौर पर सिर्फ विदेशियों के लिए ही हैं. विदेशी पर्यटकों के लिए ऐसे बीच बनाने की वजह है कि उनके तौर-तरीके और सांस्कृतिक परिवेश भारत से अलग हैं. इन बीच पर वह अपने स्पेस में रहते हुए आराम से प्रकृति का लुत्फ लेते हैं. उनकी निजता का यहां पूरा ख्याल रखा जाता है.
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दक्षिणी अंडमान के बंगाल की खाड़ी में यह छोटा सा नॉर्थ सेंटिनली द्वीप (North Sentinel Island) है. यहां रहने वाले जनजातियों के संरक्षण के उद्देश्य से भारत सरकार ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है. इस द्वीप पर रहने वाले जनजातियों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है. ऐसे में जनजातियों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से यहां किसी भी तरह के बाहरी लोगों के प्रवेश पर बैन है. 2011 में कराई जनगणना के अनुसार, द्वीप पर करीब 15 लोग थे. इनमें 12 पुरुष और 3 महिलाएं थीं.
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हिमाचल प्रदेश के कसोल में फ्री कसोल कैफे है. इस कैफे का संचालन भी इसराइली मूल के लोग ही करते हैं. इसराइल से पर्यटक हर साल बड़ी संख्या में भारत आते हैं. 2017 में दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खास करार हुआ है. इसके बाद से इसराइल के पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ी है. भारतीयों की एंट्री बैन को लेकर विवाद भी हुआ था लेकिन कैफे संचालकों ने पर्यटकों की निजता सुरक्षित रखने का हवाला दिया था.
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चेन्नई के रेड लॉलीपॉप हॉस्टल में भारतीयों की एंट्री नहीं हो सकती है. यह हॉस्टल सिर्फ विदेशी नागरिकों के लिए है. हॉस्टल में एंट्री से पहले पासपोर्ट की जांच की जाती है. चेन्नई आने वाले विदेशियों के लिए यह हॉस्टल ठहरने की सस्ती और आरामदेह जगह है.
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बेंगलुरु शहर में बने यूनो-इन में केवल जापान के लोगों को ही एंट्री दी जाती थी. इस होटल को साल 2012 में बनाया गया था. इसके बाद जब होटल पर नस्लीय भेदभाव के आरोप लगे तो करीब 2 साल बाद इसे बंद कर दिया गया था. कुछ जगहों को सिर्फ विदेशी पर्यटकों के लिए रखने की वजह पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के साथ उनकी निजता सुरक्षित रखना भी है.