डीएनए हिंदी: एक मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट ने कुछ ऐसा कहा है जिस पर बहस शुरू हो गई है. इस केस में सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि जवान लड़कियों को सेक्स की अपनी इच्छा को नियंत्रण में रखना चाहिए और दो मिनट के आनंद पर बहुत ध्यान नहीं देना चाहिए. हाई कोर्ट रेप के एक मामले में सुनवाई कर रहा था. इस मामले में आरोपी लड़के को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है. लड़के पर आरोप था कि उसने अपनी ही नाबालिग प्रेमिका के साथ रेप किया था.
हाई कोर्ट के जस्टिस चितरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन की बेंच इन केस पर सुनवाई की. इस बेंच ने लड़कों को भी नसीहत दी और कहा कि वे लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करें और उनकी गरिमा में शारीरिक आजादी को भी इज्जत दें. कोर्ट ने उन मामलों पर चिंता भी जताई जिनमें सहमति से हुए सेक्स के बावजूद आरोपियों के खिलाफ POCSO की धाराएं लगाई गईं.
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सेक्स एजुकेशन बढ़ाने की अपील
कलकत्ता हाई कोर्ट ने आह्वान किया है कि 16 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं में आपसी सहमति से हुए सेक्स को POCSO के तहत अपराध में ना शामिल किया जाए. साथ ही, सेक्स एजुकेशन को भी बढ़ावा देने की बात कही है. हाई कोर्ट ने कहा कि टेस्टोस्टेरोन संबंधी ग्रंथियों का सक्रिय होना अपने-आप नहीं होता है. हमारे देखने, सुनने, कामुक कॉन्टेंट पढ़ने और विपरीत लिंग के लोगों के साथ बातचीत से उत्तेजना होती है.
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कोर्ट ने कहा की टीनएजर्स में सेक्स सामान्य है लेकिन यौन इच्छा कुछ चीजों पर निर्भर करती है. ऐसे में अगर हम कुछ क्रियाएं न करें तो यौन आग्रह की उत्तेजना सामान्य नहीं रह जाती है. ऐसे में किसी भी युवा लड़की या महिला को अपने कर्तव्यों का सम्मान करना चाहिए. साथ ही, किशोर लड़कों का भी कर्तव्य है कि वे लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करें. कोर्ट ने पैरेंट्स से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों को सेक्स एजुकेशन जरूर दें.
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कलकत्ता हाई कोर्ट की सलाह, 'लड़कियों को सेक्स की इच्छा कंट्रोल करनी चाहिए'