डीएनए हिंदी: दुनिया की आबादी 800 करोड़ पार कर चुकी है. अभी भी करीब 360 करोड़ लोगों को स्वच्छ शौचालय (Clean Toilet) उपलब्ध नहीं है. भारत में भी शौचालय के क्षेत्र में काम होने के बाद अभी भी हर पांच में से एक व्याक्ति के पास शौच की उचित सुविधा नहीं है. देश के कई राज्यों में शौचालय की स्थिति संतोषजनक नहीं है. शौचालय के पैमाने पर देश के राज्यों का हाल जान लेते हैं.
हर पांचवे भारतीय के पास शौचालय की सुविधा नहीं
स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश के गावों में हर घर में शौचालय बनाने के लिए बहुत प्रयास किए गए. मगर अभी भी देश के 19 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं है.
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शहरों और ग्रामीण आबादी में अंतर बहुत ज्यादा है. जहां शहरों शौचालय के इस्तेमाल न कर पाने वाले लोगों की तादात 6 प्रतिशत है. बाकी गावों में हालात बहुत खराब है. देश के गांवों में हर चौथा व्याक्ति शौचालय का इस्तेमाल नहीं करता. यह संख्या करीब 26 फीसदी है. देश की कुल आबादी के 69 प्रतिशत के पास निजी शौचालय हैं, वहीं करीब 8 प्रतिशत आबादी सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करती है.
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लक्षद्वीप में शत प्रतिशत आबादी करती है शौचालय का इस्तेमाल
वहीं अगर राज्यों की बात करें तो NFHS-5 के सर्वे के अनुसार लक्षद्वीप के हर घर में शौचालय है. वहीं 99 फीसदी से ज्यादा शौचालय इस्तेमाल करने वाले राज्यों में मिजोरम (99.9%), केरल (99.8%), मणिपुर (99.7%), नागालैंड (99.7%), सिक्किम (99.7%), दिल्ली (99.4%), लद्दाख(99.4%) और त्रिपुरा(99.1%) शामिल हैं.
शौचालय के इस्तेमाल में बिहार सबसे पीछे
बिहार (61.7%) में देश में सबसे कम शौचालय का इस्तेमाल होता है. इसके बाद झारखंड (69.6%), ओड़िशा (71.3%), मध्य प्रदेश (76.2%) और उत्तर प्रदेश का नम्बर आता है. मैप पर आप देख भी सकते है कि देश के मध्य, मध्यपूर्व के हिस्से में शौचालय के लिए जागरुकता का अभाव है.
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देश के दक्षिणी राज्यों की स्थिति बेहतर
दक्षिण भारत में अन्य स्वास्थय मानकों के साथ साथ शौचालय के इस्तेमाल में भी बाकी राज्यों से बेहतर है. केरल (99.8 %), तेलंगाना (88.2%), आंध्र प्रदेश (85.3%), कर्नाटक (83.1%) और तमिलनाडू (81.5%) में शौचालय इस्तेमाल का स्तर देश की औसत से बेहतर है. पैसे वालों के लिए शौचालय NFHS-5 का सर्वे बताता है देश में शौचालय की उपलब्धता पैसों के साथ साथ बढ़ती जाती है.
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देश के सबसे करीब गरीब लोगों में तीन में एक व्याक्ति (37.5%) को ही शौचालय उपलब्ध है. सर्वे बताता है कि आर्थिक सामर्थ्य बढ़ने के साथ साथ शौचालय इस्तेमाल करने का स्तर भी बढ़ता जाता है. हालांकि हर उपभोगी वस्तु के साथ यही संबध देखने को मिलता है लेकिन शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा के लिए भी पैसों का अभाव आड़े आना दुर्भाग्यपूर्ण है.
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देश के हर पांचवे व्याक्ति के पास शौचालय नहीं, सुविधा के लिए तरस रहे दुनिया के 360 करोड़ लोग