डीएनए हिंदीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज ध्वजारोहण कर गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने उसी अंदाज में तिरंगे को सैल्यूट किया जैसे भारतीय सेना करती है. उन्होंने जिस तरह तिरंगे को सलामी दी उस तर का सैल्यूट जल सेना यानी इंडियन नेवी करती है. इससे पहले भी पीएम मोदी अलग-अलग सेनाओं की तरह सैल्यूट करते नजर आए हैं.
बता दें कि भारत के पास जल, थल और वायु तीन तरह की सेना है और तीनों सेनाओं का सैल्यूट करने का तरीका अलग-अलग होता है. इस सैल्यूट करने के तरीके का अलग महत्व होता है. इसलिए आज हम आपको भारतीय सेना के सैल्यूट के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि तीनों सेनाएं अलग-अलग सैल्यूट क्यूं करती हैं और उनका महत्व क्या होता है.
भारतीय थल सेना
आर्मी अफसर और जवान हमेशा खुले पंजों और दाहिने हाथ से सैल्यूट करते हैं. सैल्यूट के दौरान उनकी सारी उंगलियां सामने की ओर खुली और अंगूठा साथ में लगा हुआ होता है. यह सीनियर और सबॉर्डिनेट्स के प्रति सम्मान प्रकट करने का तरीका है. इसके साथ ही यह ये भी बताता है कि उसके हाथ में कोई हथियार नहीं है.
भारतीय जल सेना
भारतीय जल सेना यानी इंडियन नेवी सैल्यूट के दौरान हथेली को सिर से कुछ इस तरह टिका कर रखा जाता है कि हथेली और जमीन के बीच 90 डिग्री का कोण बने. इस सैल्यूट के पीछे का कारण नेवी में कार्यरत नाविकों और सैनिकों के जहाज पर काम करने की वजह से गंदी हो गई हथेलियों को छिपाना है. जहाज पर काम करते समय कई बार जवानों के हाथ ग्रीस और तेल से गंदे हो जाते हैं.
भारतीय वायु सेना
इंडियन एयर फोर्स ने अपने सभी जवानों और अफसरों के लिए साल 2006 में सैल्यूट के नए फॉर्म को इंट्रोड्यूस किया. इससे पहले एयर फोर्स के सैल्यूट का तौर-तरीका भी आर्मी की ही तरह था. अब एयरफोर्स के जवान इस तरह सैल्यूट करते हैं कि उनकी हथेली जमीन से 45 डिग्री का कोण बनाती है. इसे आर्मी और नेवी के बीच का सैल्यूट कहा जा सकता है.
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जल, थल और वायु सेना क्यों करती है अलग-अलग तरीके से सैल्यूट, जानें इसके पीछे का कारण