Who is Lovely Khatun: भारत में बांग्लादेशी घुसपैठिए की मौजूदगी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हाल ही दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए के खिलाफ पुलिस के सर्च ऑपरेशन भी चलाए गए थे. इस बीच घुसपैठिए से जुड़ी एक बड़ी खबर पश्चिम बंगाल से आ रही है. दरअसल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रशीदाबाद गांव की ग्राम पंचायत की प्रधान की नागरिकता को लेकर बड़े प्रश्न खड़े हो रहे हैं. इस ग्राम प्रधान का नाम लवली खातून है. वो सियासी रूप से ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से भी जुड़ी हुई है. उनके ऊपर इल्जाम लगे हैं कि वो मूल रूप से बांग्लादेश की रहने वाली है, और घुसपैठ करके भारत आई हैं. साथ ही उनपर बिना पासपोर्ट के साथ अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप लगे हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक इस ग्राम प्राधन का असली नाम लवली खातून नहीं बल्कि नासिया शेख है. इस मामले को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय की तरफ से SDO से जवाब मांगा गया है.
ग्राम प्रधान बनने का बात TMC से जुड़ी
दरअसल ये मामला तब संज्ञान में आया जब मालदा के चंचल की निवासी रेहाना सुल्ताना की तरफ से 2024 में इस केस उठाया गया था. रेहाना इस मामले को लेकर कलकत्ता हई कोर्ट गई थीं. उन्होंने वहां लवली खातून के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने बताया है कि लवली खातून बांग्लादेशी घुसपैठिया है, और अवैध रूप से भारत में रह रही है. दरअसल रेहाना सुल्ताना और लवली खातून ग्राम प्रधान के लिए 2022 में हुए चुनाव में आमने-सामने थी. दोनों के बीच कड़ी टक्कर थी. लेकिन नतीजों में रेहाना हार गई और लवली को जीत हासिल हुई. इस संदर्भ में रेहाना के वकील अमलान भादुड़ी ने बताया कि 'इस चुनाव में रेहाना टीएमसी की प्रत्याशी के रूप में चुनाव में थी, वहीं लवली कांग्रेस और वाम की कैंडिडेट थी. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद लवली ने टीएमसी को जॉइन कर लिया था.'
कौन हैं लवली खातून? जिनपर लगें हैं बेहद संगीन आरोप
मीडिया की खबरों में दावा किया जा रहा है कि लवली खातून वास्तव में नासिया शेख है. रेहाना के वकील भादुड़ी की ओर से कहा गया है कि 'पहले हमलोगों ने इस मामले को लेकर पुलिस को सूचित किया. लेकिन वहां पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. फिर हमने कलकत्ता हई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.' उन्होंने आगे बताया कि 'लवली की ओर से ग्राम प्रधान बनने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गए. उसने आधार कार्ड, वोटर कार्ड में भी फर्जी तरीके से बनाया है. यहां तक कि ओबीसी सर्टीफिकेट में भी हेरफेर की गई है. लोकल लोगों के माध्यम से हमें ये भी मालूम पड़ा है कि लवली बगल के एक गांव में जाकर वहां के एक शख्स को अपने अब्बा के नाम का जिक्र करने को कहा था. सबको पता है कि उसके अब्बू का असली नाम शेख मुस्तफा की जगह जमील बिस्वास है. NRC के कागजात में भी शेख मुस्तफा के परिजनों में लवली खातून का कहीं नाम नहीं लिखा हुआ है.'
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बांग्लादेशी घुसपैठिया भारत में बनी ग्राम प्रधान? जानिए कौन हैं TMC नेता लवली खातून