डीएनए हिंदी: आज नोएडा के ट्विन टावर को गिरा दिया जाएगा. इसे सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि आम आदमी की जीत औऱ भ्रष्टाचार की हार के रूप में देखा जा रहा है. नोएडा के सेक्टर 93A में अवैध रूप से बने ये ट्विन टावर काफी लंबे समय से चर्चा में थे. कई बार इन्हें गिराने की तारीख मिली, लेकिन अब तारीख, समय और हर चीज तय हो चुकी है. आज दोपहर 2.30 बजे ये ट्विन टावर ध्वस्त कर दिए जाएंगे. हर स्तर पर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि इसे ध्वस्त करने का काम कौन करने वाला है? उस व्यक्ति का नाम है- चेतन दत्ता. जानते हैं इनसे जुड़ी पूरी जानकारी
हरियाणा के रहने वाले हैं चेतन दत्ता
भारतीय ब्लास्टर चेतन दत्ता 40 मंजिला ट्विन टावर्स को (Noida Supertech Twin Tower Demolition) सिर्फ एक बटन दबाकर सिर्फ 9 सेकंड में मिट्टी में मिला देंगे. चेतन दत्ता Edifice कंपनी के भारतीय ब्लास्टर हैं. चेतन मूल रूप से हरियाणा के हिसार के रहने वाले हैं. एक मीडिया वेबसाइट से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह डेमोलेशन एक सरल प्रक्रिया है उम्मीद की जानी चाहिए कि सब कुछ योजना के मुताबिक ही होगा.
यहां देखें चेतन दत्ता का इंटरव्यू
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भगवान से की थी ये मौका मिलने की प्रार्थना
बताया जा रहा है कि जब यह डेमोलेशन प्रोसेस होगी तब डेमोलेशन एक्सपर्ट भी टावर्स से 50-70 मीटर की दूरी पर रहेंगे. यही नहीं चेतन दत्ता ने यहां तक कहा कि यह काम उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है. वह सुप्रीम कोर्ट का आर्डर आने के बाद से यह दुआ कर रहे थे कि ब्लास्ट बटन दबाने का मौका उन्हें ही मिले.
सुपरटेक ट्विन टावरों को क्यों गिराया जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन टावरों को गिराने की कार्रवाई की जा रही है. दरअसल इन टावरों को निर्माण शर्तों का उल्लंघन कर किया गया था. नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था. सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. हालांकि, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे. इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है. साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया.
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