मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW ने टोरेस पोंजी स्कैम में बड़ी सफलता हासिल की है. ईओडब्लू ने टोरेस स्कैम मामले में फरार आरोपी तौसिफ रियाज को गिरफ्तार कर लिया है. कुछ दिन पहले तौसिफ ने खुद को व्हिसल ब्लोअर बताया था और उसने मामले में गिरफ्तार एक और शख्स को बचाने की कोशश की थी. बता दें, तौसिफ रिया टोरेस कंपनी का CEO भी है और मामला सामने आने के बाद से वो फरार चल रहा था. तौसिफ का दावा था कि जब उसे स्कैम का पता चला तो उसने केंद्रीय एजेंसियों के सामने इस मामले को रखा था. उसने दावा किया था कि वह आरोपियों के साथ नहीं था बल्कि खिलाफ था.

इस मामले में रिजाय पांचवा व्यक्ति था जिसे गिरफ्तार किया गया, उसे मुंबई कोर्ट के सामने पेश किया गया. उसे 3 फरवरी तक के लिए पुलिस कस्टडी में रखा गया है. यह गिरफ्तारी टॉरेस ज्वेलरी फर्जी निवेश स्कीम के मामले में की गई है, जिसमें 3,700 निवेशकों को ठगा गया था. 

ऐसे शुरू हुआ था घोटाला
टोरेस पोंजी घोटाला दिसंबर 2024 में तब सामने आया जब कंपनी की तरफ से वादा किए गए भुगतान बंद करने के बाद सैकड़ों निवेशक दादर, मुंबई में टोरेस वास्तु केंद्र में इकट्ठे हुए. निवेशकों को सोने, चांदी और मोइसैनाइट आभूषणों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था, उन्हें कार, फ्लैट और उपहार हैम्पर्स सहित उच्च रिटर्न के वादों का लालच दिया गया था. हालांकि, जब कंपनी इन वादों को पूरा करने में विफल रही, तो इसने व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जांच की गई.

रियाज ने दावा किया था कि उसने ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को टोरेस पोंजी स्कीम के बारे में जानकारी दी थी, लेकिन इन दावों के बावजूद, वह कई हफ्तों से गिरफ्तारी से बच रहा था. अधिकारियों ने उसके खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया था, और कथित तौर पर वह एक गुप्त सूचना के आधार पर लोनावला में ट्रैक किए जाने से पहले पटना से मुंबई आया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टोरेस धोखाधड़ी की अपनी चल रही जांच के तहत शुक्रवार को बैंक जमाओं में 21 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी फ्रीज कर दी. ईडी ने 23 जनवरी को मुंबई और जयपुर में 10 स्थानों पर छापे मारे, जिसमें टोरेस ज्वैलरी के प्रमोटरों से जुड़ी संपत्तियों को निशाना बनाया गया. जांचकर्ताओं ने संकेत दिया है कि पोंजी स्कीम में वित्तीय हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग का एक जटिल नेटवर्क शामिल था.

क्या है टॉरेस पॉन्जी स्कैम?
टोरेस पोंजी घोटाला, जिसमें धोखाधड़ी करके निवेश करवाया, अब तक ₹57 करोड़ के नुकसान का कारण बना है. पुलिस के अनुसार, ज्वेलरी ब्रांड ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बहु-स्तरीय विपणन रणनीति और भ्रामक विज्ञापन का इस्तेमाल किया. कंपनी के प्रमोटरों ने आकर्षक रिटर्न का वादा किया, लेकिन देने में विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप इसमें शामिल लोगों के लिए व्यापक वित्तीय बर्बादी हुई.

FIR में आरोप लगाया गया है कि कंपनी और उसके प्रमोटरों ने सोने, चांदी, हीरे के आभूषणों और रत्नों में निवेश पर 2-9 प्रतिशत साप्ताहिक उच्च रिटर्न के वादे के साथ निवेशकों को 'लुभाया.' ईडी ने कहा कि योजनाओं ने नए निवेशकों की भर्ती के लिए बोनस की पेशकश की, और अधिक पीड़ितों को 'आकर्षित' करने के लिए एक रेफरल सिस्टम बनाया. एजेंसी के अनुसार, कंपनी ने सिंथेटिक मोइसैनाइट पत्थरों को हीरे के बराबर उच्च मूल्य वाले निवेश के रूप में विपणन किया.


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इन स्टोन को बढ़ी हुई कीमतों पर बेचा गया और निवेशकों को उनके भविष्य के मूल्यवृद्धि के बारे में 'गुमराह' किया गया, ऐसा कहा गया. ईडी के अनुसार, कंपनी ने सेमिनार आयोजित किए, सोशल मीडिया पर विज्ञापन दिया और ग्राहकों को कार और महंगे मोबाइल फोन जैसे लग्जरी पुरस्कारों से लुभाने के लिए 'बिना लाइसेंस के' लकी ड्रॉ आयोजित किए. जैसे-जैसे जांच जारी है, अधिकारी अतिरिक्त संदिग्धों को ट्रैक करने और घोटाले की पूरी हद को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस मामले ने काफी ध्यान आकर्षित किया है, और आने वाले हफ्तों में और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है. 

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What is the ₹1,000 crore Torres Ponzi scheme in which 3,700 people were duped Know the complete details related to the case
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क्या है ₹1,000 करोड़ की टोरेस पोंजी स्कीम, जिसमें 3,700 लोगों को ठगा गया
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क्या है ₹1,000 करोड़ की टोरेस पोंजी स्कीम, जिसमें 3,700 लोगों को ठगा गया? जानें मामले से जुड़ी पूरी जानकारी
 

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