भारत में गजवा-ए-हिंद (Ghazwa-e-Hind) को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई. देश की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) ने गजवा-ए-हिंद को लेकर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक फतवा जारी किया है, जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इसे देश विरोधी बताया है और दारुल उलूम देवबंद के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गजवा-ए-हिंद होता क्या है?
सबसे पहले तो यह जानते हैं कि इस विवाद की वजह क्या है. दरअसल, एक व्यक्ति ने दारुल उलूम देवबंद से गजवा-ए-हिंद के बारे में जानकारी मांगी थी कि क्या हदीस में इसका जिक्र है? इसपर दारुल उलूम ने कहा कि उनकी धार्मिक किताब में गजवा-ए-हिंद को लेकर एक पूरा चैप्टर है. फतवे में कहा गया कि पैगंबर मोहम्मद के करीबी हजरत अबू हुरैरा ने गजवा-ए-हिंद को बकायदा जायज ठहराया है. हुरैरा ने कहा था कि मैं लड़गूंगा और अपनी धन संपदा को कुर्बान कर दूंगा. मर गया तो बलिदानी बनूंगा. जिंदा रहा तो गाजी कहलाऊंगा. दारुल उलूम ने इसके लिए साहिहसीता की किताब सुन्नन अल-नसाई का हवाला दिया है. फतवे में कई अन्य तरीके से भी गजवा-ए-हिंद का महिमामंडन किया गया है.
गजवा-ए-हिंद का मतलब क्या है?
गजवा-ए-हिंद सैकड़ों साल पुराना शब्द है. इसमें गजवा का अर्थ ‘इस्लाम को फैलाने के लिए की जाने वाली जंग’ होता है. इस युद्ध में शामिल इस्लामिक लड़ाकों को 'गाजी' कहा जाता है. मोटे तौर पर गजवा-ए-हिंद का मतलब भारत में जंग के जरिए इस्लाम की स्थापना करने से निकाला जाता है. गजवा-ए-हिंद का मतलब भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले काफिरों को जीतकर इस्लामीकरण करने से है.
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गजवा-ए-हिंद कहां से आया?
इस्लाम में दुनिया को दो हिस्सों में बांटकर देखा गया है. एक जहां इस्लाम मानने वालों का राज है. दूसरा जहां इस्लाम नहीं मानने वालों का शासन है, यानी दूसरे धर्म के लोग रहते हैं. मुस्लिम शासन करने वाले देश को दारुल इस्लाम कहा जाता है, जबकि गैर मुस्लिम शासन करने वाले देश को दारुल हर्ब कहा गया है.
NCPCR ने बताया धारा 75 का उल्लंघन
दारुल उलूम के इस फतवे का एनसीपीसीआर ने CPCR की धारा 13 (1) (TJ) के तहत स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग ने इस मामले में सहारनपुर के DM-SSP को नोटिस देकर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया. आयोग ने कहा कि विवादित फतवे में 'गजवा-ए-हिंद' की बात कही गई है जो कथित तौर पर 'भारत पर आक्रमण के संदर्भ में शहादत' का महिमामंडन करता है. उन्होंने कहा कि यह फतवा बच्चों को अपने ही देश के खिलाफ नफरत की भावना को उजागर कर रहा है और अंततः उन्हें अनावश्यक मानसिक या शारीरिक पीड़ा पहुंचा रहा है.
एनसीपीसीआर ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13(1) का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी सामग्री से राष्ट्र के खिलाफ नफरत भड़क सकती है. एनसीपीसीआर ने भारतीय दंड संहिता और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत दारुल उलूम देवबंद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया. आयोग ने तीन दिन में कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का अनुरोध किया है.
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क्या होता है गजवा-ए-हिंद, क्या है इसका मकसद और दारुल उलूम के फतवे से क्यों हो रहा विवाद?