Abhay Singh IIT Baba real name: उत्तर प्रदेश के महाकुंभ 2025 से फेमस हुए आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह ने एक पॉडकास्ट में अपने जीवन के कई राज खोले हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि जिस आईआईटी को वो छोड़कर आए थे अब लोगों ने उसी पर उनका नाम रख दिया. इसी के साथ अभय सिंह ने अपने कई नाम बताए जो समय-समय पर उन्हें मिलते रहे. अभय सिंह ने पत्रकार सुशांत सिन्हा के पॉडकास्ट 'टॉप एंगल' में अपने जीवन से जुड़े कई किस्सों के बारे में बताया जिसकी वजह से आज उनकी ऐसी पर्सानिलिटी बनी.      

'मुझे मिले कई नाम, पर मेरा फेवरेट ये वाला'
अभय सिंह ने पॉडकास्ट में बताया कि जब वे ऋषिकेश में थे तब वहां के सीक्रेट गार्डन कैफे में वे अक्सर जाया करते थे. उन्होंने कहा कि वहां मेरे योग शिक्षकों के साथ योग पर खूब चर्चाएं हेती थीं. कैफे में बुद्धिजीवियों के साथ बैठना होता था. अभय सिंह का इतना ज्ञान देखते हुए लोग उनसे पूछते थे कि आपका नाम क्या है? इस अभय सिंह कहते-'अभी कुछ नाम नहीं. तुम बताओ कि मेरा क्या नाम होना चाहिए.' इस पर अभय सिंह को वहां से राघव नाम मिला. 

आईआईटी बाबा की बाद में किसी अन्य तांत्रिक से मुलाकात हुई. उस तांत्रिक ने कहा कि चलो तुम्हें कैलाश घुमा देता हूं. तब उस तांत्रिक ने अभय सिंह को बटुक भैरव नाम दिया. वहीं, ऋषिकेश में उन्हें मलंग भी बुलाया जाता रहा है. पहले नाम गुण के हिसाब से पड़ते थे. जिसका जैसा गुण होगा उसको वैसी उपाधि मिलेगी. जैसे महात्माओं के नाम उनके गुण के हिसाब से पड़े. जैसे भक्त प्रहलाद को उसके कर्म के अनुसार उपाधि मिली. जैसे सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र को भी उनके गुण के अनुसार उपाधि मिली. अभय सिंह से जब पूछा गया कि अगर आप कोई तीसरा शख्स होते और आपको आईआईटी वाले बाबा का दूसरा नाम देना होता तो क्या नाम देते. इस पर अभय सिंह ने कहा कुछ नहीं. बाबा से पूछा गया कि आप में ऐसा क्या है जो उपाधि बन सकता है. अभय सिंह ने जवाब दिया-प्रेम. उन्होंने खुद को प्रेम वाले बाबा बताया. 

'प्रसिद्धि मिलने पर भगवान ने ली परीक्षा'
महाकुंभ से फेम मिलने के बाद अभय ने कहा कि अब भगवान ने मेरी परीक्षा ली है. उन्होंने मुझे कहा है कि जब तेरे पास कुछ नहीं था तब तू वैरागी था और आज नाम, फेम सब है तब वैरागी बनकर दिखा. मैं अब भी वही कर रहा हूं जो पहले करता था. मैं पहले भी रिसर्च करता था. लोग मुझे पहले भी जानते थे लेकिन अब ज्यादा जानते हैं. मैं पहले भी रील डालता था लेकिन अब फेम मिलने के बाद लोग ज्यादा देखते हैं. मैं हमेशा से धर्म की स्थापना करना चाहता था. पर कभी-कभी इस पर सेल्फ डाउट में चला जाता था. फिर जब भगवान पर पूरा भरोसा हो गया तो ये भी समझ आ गया कि उसने मुझे जिस काम के लिए चुना है, वो तो वो कराकर रहेगा. जब मैं डरता हूं तो साधना करता हूं और खुद को स्टेबलाइज करता हूं. 

'...जब भगवान ने ली परीक्षा'
अभय सिंह ने बताया कि जब मैं तुंगनाथ गया तो 200-300 रुपये थे. रात को बारिश आ गई. वो सीढ़ियां भी फिसलने वाली थीं. अंधेरा है, मोबाइल-टॉर्च भी नहीं है. महादेव का नाम लेकर अंधेरे में चले जा रहे हैं. मंदिर में मैं 12 बजे पहुंचा लेकिन वो बंद था. जब वहां से वापस आया तब फिर बारिश आने लगी.  तब मैं रेनकोट पहनकर एक कोने में बैठ गया और रात भर बैठा रहा. वो मेरी परीक्षा थी. भगवान मेरी परीक्षा ले रहा था कि जिस दिन पूरी दुनिया मुझे सुने उस दिन मेरे पास क्लैरिटी होनी चाहिए. ये सब मेरी ट्रेनिंग थी. 

अफवाहों पर क्या कहा?
अभय सिंह से पूछा गया कि उन्होंने टी-20 वर्ल्ड कप जितवाया और डी गुकेश को शतरंज जितवाया जैसी भविष्यवाणियां कीं. इस पर उन्होंने कहा कि जो मैंने कहा उस पर मैं कायम हूं. गुकेश के मैच मैंने शुरू से देखे हैं. जब वो फाइनल में था तब भी देखा. जब मैं किसी को कहता हूं कि मैंने जितवाया तो इसका मतलब है कि मैं एक चेतना से दूसरी चेतना से जुड़ रहा हूं. जो मैं उसके लिए महसूस कर रहा हूं वो मैं चाहता हूं. इस चेतना को पेड़, इंसान किसी के साथ भी जोड़ सकते हैं. इससे दो आत्माओं के बीच लिंक बनते हैं.   


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आईआईटी करने का सीक्रेट भी बताया
अपने बचपन को लेकर उन्होंने कहा कि बचपन मेरा बहुत अच्छा नहीं रहा. घर में जो माता-पिता के बीच लड़ाई-पिटाई होती थी उससे बाहर निकलने का रास्ता मुझे पढ़ाई ही दिखाई देता था. कभी-कभी सोचता था कि घर को आग लगा दूं या फिर मैं घर से भाग जाऊं. किताबें मैं बहुत पढ़ता था. फिर आईआईटी पहुंच गया. तब मैं सोचता था कि मुझे इतनी पढ़ाई करनी होगी ताकि इतना अच्छा कॉलेज मिले कि घर वाले मुझे वहां जाने से रोक ना पाएं. ऐसा करके ही मैं घर से दूर जा सकता था. जब मैं आईआईटी पहुंच गया तब मुझे समझ नहीं आया कि अब क्या करूं. फिर वहां मैंने फिलोसफी पढ़ी. फिल्ममेंकिंग में भी काम किया. फिर मैं प्लेसमैंट में भी नहीं बैठा. क्योंकि मुझे फोटोग्राफी में काम करना था. फिर मैंने आगे नौकरी ढूंढ़ने के लिए काम किया. मेरी चार साल तक गर्लफ्रेंड रही. साथ ही अभय सिंह ने कहा कि आपके मन में जो भी विचार आ रहे हैं उन्हें स्वीकार करना सीखें. 

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What I left behind I named it after that Not IIT Baba Abhay Singh revealed his favourite name revealed these 5 big secrets of his life
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जो मैंने छोड़ा, उसी पर नामकरण कर दिया
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'जो मैंने छोड़ा, उसी पर नामकरण कर दिया' IIT बाबा नहीं अभय सिंह ने बताया अपना पसंदीदा नाम, खोले जीवन के ये 5 बड़े राज
 

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