डीएनए हिंदी: पूर्व बर्द्धमान जिले के केतुग्राम के चिनिसपुर गांव निवासी रेणु खातून (Renu Khatun) का पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग में नर्स की नियुक्ति के लिए बने पैनल में नाम आया तो खुश होने की बयाज पति ने उनका दांया हाथ काट डाला. हालांकि, इसके बाद भी रेणु ने हार नहीं मानी. दाहिनी हथेली खोने के 48 घंटे बाद ही रेणु बाएं हाथ से लिखने का अभ्यास करती हुई नजर आईं.
रेणु खातून का कहना है कि उनका एक ही लक्ष्य है, नर्स बनना. रविवार की सुबह कलाई हाथ से अलग होने के कारण रेणु दुर्गापुर के आइक्यू सिटी अस्पताल में भर्ती हुईं और मंगलवार से उन्होंने दूसरे हाथ से लिखना शुरू कर दिया. रेणु ने कहा, 'मेरी जान बचाने के लिए मैं डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करती हूं. ये अंत नहीं है, मैं जीना चाहती हूं. नर्स बनने के अपने सपने को पूरा करना चाहती हूं.' यही वजह है कि दाहिनी कलाई न होने के कारण अब वे बाएं हाथ से लिख रही हैं.
इतना ही नहीं, बाएं हाथ से रेणु ने सबसे पहले यही लिखा कि 'मेरे पति ने मुझे काम करने से रोकने के लिए मेरा हाथ काट दिया लेकिन मैं काम करूंगी और उसे गलत साबित कर दूंगी. मैं जल्द ही अपने बाएं हाथ से मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस इस नौकरी को बरकरार रखने का आग्रह करूंगी.'
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इधर, मामले को लेकर अस्पताल के अधिकारियों, डॉक्टरों और नर्सों ने कहा कि जब रेणु ने मंगलवार सुबह उनसे एक कागज और पेन मांगा तो वे दंग रह गए. एक अधिकारी ने बताया, 'नर्स रेणु के कमरे में उसे दवा देने गई थी. इस दौरान रेणु ने नर्स से एक कागज और कलम मांगी. रेणु का कहना था कि अब वह अपने बाएं हाथ से लिखने का अभ्यास करेंगी. वहीं, उनकी इस हिम्मत को देखकर नर्स भी हैरान रह गई.' इतना ही नहीं, जैसे ही बाकि लोगों को पता चला कि रेणु अब अपने दूसरे हाथ से लिखने की कोशिश कर रही हैं तो अस्पताल में मौजूद अन्य कर्मचारियों ने उसके बिस्तर को घेर लिया. हर कोई रेणु का हौसला अफजाई कर रहा था. रेणु का कहना है कि उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना किया है. वो जानती थी कि राह इतनी आसान नहीं होने वाली है.
'पिता को कैसे निराश कर दूं?'
रेणु ने कहा, 'मैंने दिन-रात पढ़कर परीक्षा पास की.मेरे पिता एक निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते थे. मेरी शिक्षा पर खर्च करने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है, फिर मैं अपने पति की कायराना हरकत के कारण उन्हें कैसे निराश कर सकती हूं.एमएससी खत्म करने के बाद मैं नर्सिंग पर रिसर्च करूंगी. मैं बाकि लड़कियों को भी पढ़ाना चाहती हूं और इन सपनों को पूरा करने के लिए मुझे कुछ पैसों की जरूरत है. यही वजह है कि मैं नौकरी करना चाहती हूं.'
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, रेणु के पति को डर था कि नौकरी मिलने के बाद रेणु उसे छोड़ देगी. बस इसी के चलते उसने अपनी पत्नी का हाथ काट दिया. इधर, जैसे ही मामले की जानकारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मिली तो उन्होंने तुरंत ही रेणु के इलाज में आने वाला पूरा खर्च उठाने का फैसला किया. इससे पहले रेणु को इलाज के लिए करीब 57 हजार रुपये खर्च करने पड़े थे. अब मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव एच के द्विवेदी को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि स्वास्थ्य साथी कार्ड होने के बावजूद उन्हें पैसे क्यों खर्च करने पड़े. इसके अलावा सीएम ने रेणु को सरकारी नौकरी और कृत्रिम हाथ लगवाने का आश्वासन भी दिया है.
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'हम कृत्रिम हाथ लगवाकर भी रेणु की मदद करेंगे. इसके अलावा, राज्य सरकार उसके इलाज पर हुए सभी खर्च उठाएगी. सरकार का स्वास्थ्य साथी कार्ड होने के बावजूद रेणु को 57,000 रुपये खर्च करने पड़े, यह स्वीकार नहीं किया जाएगा. मैंने मुख्य सचिव से इसका कारण पता लगाने को कहा है.'
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West Bengal: पति ने काट दिया दायां हाथ लेकिन नहीं मानी हार, अब बाएं हाथ से लिखेंगी दुर्गापुर की रेणु खातून