डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के सियासत में एक बार विनायक दामोदर राव सावरकर को लेकर बहस छिड़ गई है. हाल ही में राहुल गांधी ने सावरकर को लेकर एक बयान दे दिया था. तब शिवसेना बाला साहब उद्धव ठाकरे के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि वह राहुल गांधी के बयान से अपनी सहमति नहीं रखते हैं. उद्धाव ठाकरे ने कहा कि राहुल गांधी का यह बयान महाविकास अघाड़ी में फूट डाल सकता है. बता दें ठाकरे परिवार में विनायक दामोदर राव सावरक के विचारों के पक्षधर रहे हैं और उन्होंने अलग-अलग समय पर सावरकर के विचारों का सपोर्ट किया है.
करीब एक दशक पहले शिवसेना के मौजूदा प्रमुख बाल ठाकरे ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का बचाव किया था. उस वक्त के मौजूदा कांग्रेस सचिव दिग्विजय सिंह ने अपने बयान कहा था कि सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने टू-नेशन थ्योरी की अगुवाई की थी, जिसके कारण विभाजन हुआ. ठाकरे ने तब पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा, "दिग्विजय मुस्लिम वोटों को आकर्षित करने के लिए इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. सावरकर अंत तक अखंड भारत के समर्थक थे और पाकिस्तान के निर्माण के खिलाफ थे."
दिग्विजय सिंह के बयान के खिफाल बाल ठाकरे की दो टूक
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ठाकरे ने कहा, "1945 के चुनावों के दौरान, महात्मा गांधी ने आश्वासन दिया था कि देश का विभाजन नहीं होगा. लेकिन सावरकर को गांधी के आश्वासन पर कोई भरोसा नहीं था और उन्होंने बार-बार कहा कि कांग्रेस विभाजन को स्वीकार करेगी और कांग्रेस को वोट देने का मतलब विभाजन का समर्थन करना है."
बाल ठाकरे ने अपने लेख में दावा किया था किसी ने सावरकर पर भरोसा नहीं किया और तत्कालीन आरएसएस प्रमुख और हिंदू महासभा के नेता डॉ एस पी मुखर्जी और कुछ अन्य लोगों ने 1945 में चुनाव से हाथ खींच लिया. हालांकि, आरएसएस प्रमुख ने बाद में अपनी गलती स्वीकार कर ली.
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सावरकर ने लड़ी अखंड भारत की लड़ाई लड़ी थी: बाल ठाकरे
अपने बयान में ठाकरे ने लिखा कि सावरकर पूरी तरह से विभाजन के खिलाफ थे लेकिन वह अलग-थलग रह गए थे. उन्होंने पाकिस्तान के निर्माण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने कहा कि अपने अंतिम प्रयास में सावरकर ने 8 अगस्त, 1947 को हिंदुओं का एक सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें लोगों से अखंड भारत के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने की अपील की गई, लेकिन व्यर्थ गया.
दिग्विजय सिंह ने कहा था कि सावरकर पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने टू-नेशन थ्योरी को आगे बढ़ाया. जिसे बाद में मुहम्मद अली जिन्ना ने अपनाया और जिसके कारण विभाजन हुआ.
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सावरकर के विचारों के खिलाफ नहीं जाता है ठाकरे परिवार, बाल ठाकरे ने किया था सपोर्ट