Uttarakhand News: उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब राज्य के मदरसों में संस्कृत की पढ़ाई को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा. यह कदम बच्चों के पूरे विकास और उनके शैक्षिक अनुभव को समृद्ध बनाने के लिए उठाया गया है. उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने इस फैसले की घोषणा की है, जिससे मदरसों में छात्रों को संस्कृत सीखने का अवसर मिल पाएगा.
मदरसों में पहल से पढ़ाया जाल रहा NCERT
मदरसों में पहले से ही NCERT पाठ्यक्रम को अपनाया गया है और इसके पॉजिटिव नतीजे सामने आए हैं. मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि संस्कृत को पाठ्यक्रम में शामिल करने का उद्देश्य बच्चों के भाषा कौशल में सुधार करना और उन्हें भारतीय संस्कृति के बारे में अधिक जानकारी देना है. संस्कृत का अध्ययन करने से छात्रों को भाषा की गहराई समझ में आने लगेगी. साथ ही भारतीय इतिहास तथा संस्कृति के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत होने का अवसर मिलेगा. हालांकि, संस्कृत को अनिवार्य तो नहीं किया गया है, बल्कि यह छात्रों के लिए एक विकल्प के रूप में रखा गया है. इसका मतलब है कि जो छात्र संस्कृत सीखना चाहेंगे, वह इस विषय को चुन सकते हैं, जबकि बाकी छात्र अपनी रुचि के अनुसार अन्य विषयों का चुनाव कर सकते हैं.
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सरकार भी कर रही इस पहल का समर्थन
इस पहल से राज्य के मदरसों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने का कोशिश की जा रही है. उत्तराखंड सरकार और शिक्षा विभाग इस पहल का समर्थन कर रहे हैं. राज्य सरकार का मानना है कि यह कदम बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर अवसर बनेगा और उनके शैक्षिक विकास में काफी योगदान देगा. इसके अलावा, मदरसों में धार्मिक और आधुनिक शिक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.
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उत्तराखंड के मदरसों में नई पहल, अब पढ़ाई जाएगी संस्कृत, धामी सरकार का बड़ा फैसला!