UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने सोमवार को नए लागू समान नागरिक संहिता के तहत नियमों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि राज्य में सभी धर्मों के लिए बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं.

उत्तराखंड आज समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है, जिसमें सभी धर्मों के विवाह, उत्तराधिकार, भरण-पोषण और अन्य नागरिक मामलों के लिए समान नियम बनाए गए हैं. धामी ने कहा कि किसी भी धर्म के व्यक्ति को तब तक दूसरी शादी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि उसका जीवनसाथी जीवित है. उन्होंने कहा कि बेटियों को सभी धर्मों में समान संपत्ति का अधिकार मिलेगा.

लिव-इन रिलेशनशिप के लिए कराना होगा रजिस्ट्रेशन
उन्होंने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत कराना होगा और रजिस्ट्रार जोड़े के माता-पिता को सूचित करेगा. उन्होंने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को भी समान संपत्ति का अधिकार मिलेगा. न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार उन्होंने कहा, 'सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम आयु अनिवार्य कर दी गई है- लड़के के लिए 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष. पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी पूरी तरह से प्रतिबंधित है. 

बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार
समान नागरिक संहिता में संपत्ति के बंटवारे और बच्चों के अधिकारों को लेकर भी स्पष्ट कानून बनाए गए हैं. इन कानूनों के तहत सभी धर्मों और समुदायों में बेटियों को भी संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं. लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को भी संपत्ति में समान अधिकार माना जाएगा. इस कानून में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. रजिस्ट्रार जोड़े की जानकारी उनके माता-पिता को देगा, यह जानकारी पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी.' धामी ने आगे कहा कि 27 जनवरी को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

'UCC भेदभाव को समाप्त करेगी'
 पुष्कर सिंह धामी ने कहा, 'समान नागरिक संहिता भेदभाव को समाप्त करने का एक संवैधानिक उपाय है. इसके माध्यम से सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है. इसके लागू होने से सही मायनों में महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा. इसके माध्यम से हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह, तीन तलाक जैसी बुराइयों को पूरी तरह से रोका जा सकेगा. हमने संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत उल्लिखित अपनी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, ताकि उन जनजातियों और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके. आज इस अवसर पर मैं फिर से स्पष्ट करना चाहूंगा कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है, किसी को निशाना बनाने का सवाल ही नहीं उठता.' 


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धामी ने आज यूसीसी पोर्टल लॉन्च किया, जिसके साथ ही कानून के क्रियान्वयन की शुरुआत हो गई. उत्तराखंड सरकार के आधिकारिक आदेश में कहा गया है, 'समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 (अधिनियम संख्या 3, 2024) की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यपाल 27 जनवरी 2025 को उक्त संहिता के लागू होने की तिथि निर्धारित करते हैं.' यूसीसी उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होती है, सिवाय अनुसूचित जनजातियों और संरक्षित प्राधिकरण-सशक्त व्यक्तियों और समुदायों के.

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Uttarakhand became the first state to implement Uniform Civil Code know what CM Dhami said on marriage live-in relationship
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उत्तराखंड Uniform Civil Code को लागू करने वाला बना पहला राज्य
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Uniform Civil Code को लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड, शादी और लिव-इन रिलेशनशिप के क्या होंगे नियम?

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