यूपी सरकार में मुद्दों को लेकर पार्टी के भीतर का अलगाव एक बार फिर से सबके सामने आ गया है. इस बार ये अलगाव योगी सरकार द्वारा लाए गए नजूल जमीन बिल को लेकर देखने को मिला है. ये बिल यूपी के विधान परिषद में बीजेपी MLC की प्रयाप्त संख्या में रहने के बाद भी ये पास नहीं हो सका. जबकि ये बिल पहले ही विधानसभा में पास हो चुका था. वहीं इस बिल को लेकर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इसे विधान परिषद के प्रवर समिति को सौंपने की बात कही है. उनकी तरफ से आए इस बयान के बाद विधान परिषद के सभी MLC ने इस बिल को प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय लिया है. ये बिल अभी प्रवर समिति के पास दो महीने तक रहेगा, उसके बाद इसको लेकर रिपोर्ट जारी की जाएगी, उसके बाद ही इसको लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा.
क्या होती है नजूल जमीन?
नजूल की जमीन उन जमीनों को कहा जाता है, जिसका लंबे असरे से कोई मालिक नहीं होता है. ये जमीनें राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आ जाती हैं. अंग्रेजों के समय उनके विरुद्ध विद्रोह करने वाले राजवाड़ों की जमीनों पर अंग्रेजों का अधिकार हो जाता था. देश की स्वतंत्रता के बाद इन जमीनों के ऊपर जिन लोगों ने सही जमीनी दस्तावेजों के साथ क्लेम किया, उन्हें उनकी जमीन लौटा दी गई. लेकिन जिन जमीनों पर किसी ने भी क्लेम नहीं किया, वो भूमि नजूल की जमीन कहलाई, और ये राज्य की सरकारों के अधिकार क्षेत्र के दायरे में आ गई. यूपी सरकार अपने इस बिल के माध्यम से इन जमीनों का इस्तेमाल राज्य के विकास कार्यों में लगाना चाहती है.
यूपी नजूल संपत्ति विधेयक 2024
यूपी नजूल संपत्ति विधेयक 2024 के मुताबिक राज्य में मौजूद सभी नजूल जमीनों को विकास कार्य के लिए निजी कंपनियों या किसी भी निजी पक्ष को दिया जा सकता है. नजूल जमीन को लेकर पूर्ण मलिकाना हक के संबंध में कोर्ट की कार्यवाही या किसी भी प्राधिकारी के सामने का आवेदन रद्द कर दिया जाएगा.
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Nazul Land: क्या होती है नजूल जमीन? जिसका बिल UP विधान परिषद में नहीं हो सका पास