डीएनए हिंदी: कश्मीर (Kashmir) एक बार फिर अपने भयावह दौर में लौटता नजर आ रहा है. कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandits) एक बार फिर भय में जीने को मजबूर हैं. आतंकी लगातार हिंदू समुदाय को निशाना बना रहे हैं. कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग (Target Killings of Kashmiri Pandit) की जा रही है.
लगातार हो रही टारगेट किलिंग की वजह से सरकार पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा है. कश्मीर में तैनात हिंदू सरकारी कर्मचारियों पर लगातार जान जाने का खतरा मंडरा रहा है. अब कर्मचारियों को बचाने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने अधिकारियों के साथ अहम बैठक की. बैठक में घाटी में सुरक्षा के लिए कुछ अहम इंतजामों पर चर्चा हुई है.
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ग्रामीण इलाकों में नहीं होगी कश्मीरी हिंदुओं की तैनाती
प्रधानमंत्री पैकेज के तहत सरकारी नौकरी करने के लिए कश्मीर घाटी लौटे हिंदुओं को अब जिला मुख्यालयों पर तैनात किया जाएगा. वहां पर उन कर्मचारियों की सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जाएंगे. उनके रहने के इंतजाम भी अलग किए जाएंगे और वहां पर फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी. हिंदू कर्मचारियों को अब तहसीलों या रिमोट इलाकों में ड्यूटी से हटा लिया जाएगा.
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कश्मीरी हिंदुओं का जम्मू में नहीं होगा ट्रांसफर
बैठक में फैसला लिया गया कि घाटी में काम कर रहे कश्मीरी हिंदुओं (Kashmiri Pandits) को जम्मू दोबारा नहीं भेजा जाएगा. अगर ऐसा किया जाता है तो आतंकियों को लगेगा कि उनकी दहशत कायम है और दूसरे हिस्सों में भी वे ऐसी ही परिस्थितियां पैदा कर सकते हैं. ध्रुवीकरण की दहशत और बढ़ सकती है.
आतंकियों के टारगेट पर हैं आम आदमी
आतंकियों के निशाने पर सिर्फ कश्मीरी हिंदू और दूसरे आम नागरिक हैं. सरकारी कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों को आतंकी निशाना बना रहे हैं.
क्यों हत्या नहीं रोक पा रही है सरकार
आतंकी अपने मूल ड्रेस में नजर नहीं आ रहे हैं. आतंक का पैटर्न लगातार बदल रहा है. स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे आतंकी कभी छात्र के ड्रेस में आते हैं तो कभी व्यापारी की तरह खुद को पेश करते हैं. मौका मिलते ही फायरिंग करके फरार हो जाते हैं. यही वजह है कि सरकार आतंकियों की ट्रेसिंग तक नहीं कर पा रही है.
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Jammu Kashmir: कैसे थमेगी कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग? प्रशासन ने उठाए ये कदम