सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को झूठा हलफनामा दायर करने के लिए मंगलवार को फटकार लगाई और कहा कि वह एक IAS अधिकारी के अदालत के सामने ‘झूठ’ बोलने और अपनी सुविधा के अनुसार रुख बदलने संबंधी रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगा.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह को झूठा हलफनामा दाखिल करने के लिए फटकार लगाई. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि वह कोर्ट के पहले के आदेश को समझ नहीं पाए हैं.
पीठ ने प्रसाद से कहा, ‘हम किसी आईएएस अधिकारी को अदालत से झूठ बोलते हुए और सुविधानुसार अपना रुख बदलने संबंधी रवैये को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजेश कुमार सिंह द्वारा 14 अगस्त को हलफनामे में अपनाया गया रुख उसी अधिकारी द्वारा दिए गए गंभीर बयानों से पूरी तरह भिन्न है, जिन्हें इस न्यायालय के 12 अगस्त के आदेश में दर्ज किया गया था.
IAS अधिकारी क्या दी थी दलील
कोर्ट ने कहा, ‘वास्तव में हलफनामे के पैराग्राफ 5 के खंड (जी) में दिए गए बयान सहित हलफनामे में दिए गए कुछ बयान झूठे प्रतीत होते हैं. IAS अधिकारी ने 12 अगस्त को दलील दी थी कि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय है, जिसने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के कारण राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता के कारण एक दोषी की सजा माफी से संबंधित फाइल स्वीकार करने में देरी की.
राज्य सरकार से अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहते हुए पीठ ने कहा, ‘कुछ अधिकारियों को जेल जाना ही होगा, नहीं तो इस तरह का आचरण नहीं रुकेगा. हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे या राज्य को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी.’ उन्होंने कहा कि अनजाने में यह कह दिया कि आदर्श आचार संहिता के कारण मुख्यमंत्री सचिवालय ने सजा माफी से संबंधित फाइल स्वीकार नहीं कीं.
पीठ ने अधिकारी से कहा कि वह उनकी दलील पर विश्वास नहीं करती, क्योंकि आप कोई अनपढ़ व्यक्ति नहीं हैं कि आप यह नहीं समझ सकें कि अदालत ने क्या कहा. आप राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी हैं. पीठ ने सिंह के हलफनामे को रिकार्ड पर लिया और कहा कि अदालत मामले की गहराई से जांच करेगी और 9 सितंबर को आदेश पारित करेगी. (इनपुट- PTI)
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सजा माफी के लिए झूठा हलफनामा... SC ने योगी सरकार के अधिकारी को लगाई फटकार