डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू कश्मीर के लेक्चरर जहूर अहमद भट के निलंबन को लेकर संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जम्मू कश्मीर के शिक्षा विभाग के व्याख्याता के निलंबन के मुद्दे पर गौर करने को कहा जिन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने से जुड़े मामले में अदालत में दलीलें रखी थीं. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने जहूर अहमद भट के निलंबन पर संज्ञान लिया जिन्होंने मामले में याचिकाकर्ता के रूप में 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखी थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही इस मामले पर सुनवाई शुरू की तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा कि जहूर भट को शीर्ष न्यायालय में बहस करने के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नौकरी से निलंबित कर दिया है. सिब्बल ने कहा, ‘उन्होंने दो दिन की छुट्टी ली थी. इस अदालत में दलीलें रखी थीं और वापस चले गए थे. उन्हें निलंबित कर दिया गया.’ अदालत ने वेंकटरमणी से जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल से बात करने और मामले पर गौर करने को कहा. पीठ ने कहा,  'यह नहीं होना चाहिए. इस कोर्ट में बहस कर रहे व्यक्ति को निलंबित कर दिया जाता है.’ 

'लोकतंत्र इस तरीके से नहीं चलता'
इस पर वेंकटरमणी ने जवाब दिया कि वह मामले पर विचार करेंगे. मेहता ने कहा कि एक अखबार में भट के निलंबन की खबर प्रकाशित होने के बाद उन्होंने प्रशासन से इसकी पुष्टि की और उन्हें बताया गया कि व्याख्याता के निलंबन के पीछे कई वजह हैं जिनमें उनका आए दिन विभिन्न अदालतों में याचिकाएं दायर करना भी शामिल है. मेहता ने कहा कि हम उनके निलंबन से जुड़ी सभी सामग्री अदालत के समक्ष पेश कर सकते हैं.’ सिब्बल ने इस पर कहा, ‘फिर उन्हें पहले ही निलंबित कर दिया जाना चाहिए था, अब क्यों. मेरे पास भट का निलंबन आदेश है और इसमें कहा गया है कि उन्होंने इस अदालत के समक्ष दलीलें रखी और इसलिए निलंबित किया गया है. यह उचित नहीं है. लोकतंत्र इस तरीके से नहीं चलना चाहिए.’ 

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पीठ ने कहा कि अगर अन्य कारण है तो फिर यह दूसरा मामला है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इस अदालत में दलीलें रखने के कारण निलंबित कर दिया जाता है तो इस पर गौर करने की जरूरत है. मेहता ने कहा कि वह मानते हैं कि निलंबन का समय उचित नहीं है और वह इस पर गौर करेंगे. भट 24 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे औक उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के केंद्र के पांच अगस्त 2019 के फैसले के खिलाफ दलील दी थी.

एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, वरिष्ठ व्याख्याता जहूर अहमद भट को तैनाती के स्थान श्रीनगर से हटा दिया गया है और उन्हें निदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय, जम्मू से संबद्ध किया गया है. आदेश के अनुसार, उनके आचरण की गहन जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है. स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आलोक कुमार ने एक आदेश में कहा,‘आचरण के संबंध में लंबित जांच को देखते हुए वर्तमान में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जवाहर नगर, श्रीनगर में तैनात राजनीति विज्ञान में वरिष्ठ व्याख्याता ज़हूर अहमद भट को जम्मू-कश्मीर सीएसआर, जम्मू एवं कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम 1971 आदि के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

बता दें कि उच्चतम न्यायालय में वर्तमान में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और जम्मू कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनाए थे. (इनपुट- भाषा)

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Supreme Court raised questions on lecturer Zahoor Ahmed Bhat suspension argued against removal of Article 370
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'यह फैसला सही नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने लेक्चरर जहूर भट के निलंबन पर लिया संज्ञान
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'यह फैसला सही नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने लेक्चरर जहूर भट के निलंबन पर उठाए सवाल

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