डीएनए हिंदी: 'तारीख पर तारीख... तारीख पर तारीख...' सनी देओल की फिल्म दामिनी का यह डायलॉग शायद ही किसी भारतवासी ने न सुना हो. यह फिल्म भले ही पुरानी हो लेकिन देश के किसी भी कोर्ट में हालात आज भी यही हैं. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने कोर्ट को ही सोचने पर मजबूर कर दिया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक केस डेढ़ साल से भी अधिक समय तक सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने ऐसे मामलों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बावजूद कई मामलों को सुनवाई के लिए लिस्ट करने में देरी पर अपने अधिकारियों के कामकाज पर गंभीरता से विचार किया. ऐसे मामलों को लेकर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्टीकरण मांगा.  दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले को एक पीठ के समक्ष डेढ़ साल से अधिक समय तक सूचीबद्ध न करने पर कड़ा रुख अपनाया, जबकि वह लिस्ट किए जाने और सुनवाई किए जाने के लिए "तैयार" था. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इसको लेकर अपनी रजिस्ट्री से स्पष्टीकरण भी मांगा.

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प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ आर सुब्रमण्यम नाम के एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के प्रावधान की वैधता और अवमानना ​​के लिए उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की दी गई मंजूरी को चुनौती दी गई थी.

शीर्ष अदालत ने सुब्रमण्यम को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और आदेश में कहा कि याचिका 4 अगस्त, 2021 को दायर की गई थी और सूचीबद्ध किए जाने के लिए तैयार थी.

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पीठ ने कहा, "इसे 21 अक्टूबर, 2022 तक किसी भी अवसर पर इस न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध नहीं किया गया. उस तिथि पर, याचिकाकर्ता की ओर से एक अनुरोध किया गया, जिसमें याचिका दायर करने के बाद हुई कुछ घटनाओं के मद्देनजर उक्त याचिका वापस लेने की स्वतंत्रता का अनुरोध किया गया."

उसने कहा कि हालांकि, मामले की एक विशेषता जो हमारे संज्ञान में आई है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है कि जो मामला सूचीबद्ध होने के लिए तैयार था, वह डेढ़ साल से अधिक समय से सूचीबद्ध नहीं हुआ.

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पीठ ने कहा, "हालांकि, हम रजिस्ट्री को एक स्पष्टीकरण दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करते हैं कि यह मामला सूचीबद्ध होने के लिए 'तैयार' होने के बावजूद डेढ़ साल में अदालत के समक्ष सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया. रजिस्ट्री को यह भी बताना चाहिए कि क्या कोई समान मामले जो थे 'तैयार' के रूप में चिह्नित थे लेकिन अदालत के समक्ष सूचीबद्ध नहीं हुए."

पीठ ने कहा, "ऐसे मामलों से संबंधित सभी विवरण स्पष्टीकरण के साथ प्रस्तुत किए जाएं और यह भी उल्लेखित किया जाए कि क्या तब से कोई उपचारात्मक कदम उठाया गया है. स्पष्टीकरण तीन नवंबर को या उससे पहले दिया जाए."

इनपुट- भाषा

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पहली बार केस की सुनवाई में हो रही देरी पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, मांगा स्पष्टीक
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पहली बार केस की सुनवाई में हो रही देरी पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, मांगा स्पष्टीकरण