पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने इस अधिनिमय के अंतर्गत दर्ज हुई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार इस मामले में बार-बार याचिकाएं दायर किए जाने पर नाराजगी जताई हैं. सुनवाई के दौरान जस्टिस ने कहा कि बस बहुत हो गया, इसका अंत होना चाहिए.
अब इस मामले में याचिका नहीं सुनेगा कोर्ट
उन्होंने जोर देते हुए इस बात को कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किसी भी याचिका को नहीं सुनेगा. सीजेआई ने कहा, 'याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है. इतने सारे आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किए गए हैं. हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं.'
18 मुकदमों को रोका गया था
उन्होंने कहा कि मार्च में तारीख दी जा सकती है. शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर, 2024 के अपने आदेश के माध्यम से विभिन्न हिंदू पक्षों द्वारा दायर लगभग 18 मुकदमों में कार्यवाही को प्रभावी रूप से रोक दिया, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद सहित 10 मस्जिदों के मूल धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण की मांग की गई थी,
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क्या है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट?
आपको बता दें कि 1991 में देश में पूजा स्थल कानून(प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट) लागू किया गया था. इस कानून के तहत 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल मे नहीं बदला जा सकता. यदि कोई इस कानून को तोड़ता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना भी हो सकता है. यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की सरकार में लागू किया गया था.
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Supreme Court का बड़ा फैसला, पूजा स्थल अधिनियम मामले में दर्ज नई याचिकाओं को किया खारिज