डीएनए हिंदी: इस साल जन्माष्टमी (Janmashtami) के मौके पर मथुरा में भगदड़ (Stampede) जैसी स्थिति होने की वजह से 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. इससे पहले इस साल के पहले दिन 1 जनवरी 2022 को भी वैष्णोदेवी में 12 श्रद्धालुओं की भगदड़ में मौत हो गई थी. भारत में भगदड़ के कारण हर साल इस तरह के हादसे होते रहते है. आईए देखते है कि पिछले 10 साल में आंकड़े मौजूदा स्थिति के बारे में क्या बताते हैं ?
पिछले 10 सालों में Stampede के कारण गई 1742 जानें, हादसों में आई कमी
भगदड़ (Stampede) के कारण पिछले 10 सालों ( 2011-2020) में अब तक कुल 1742 लोगों की जान जा चुकी है. अगर इस दशक को दो हिस्सों में बांटे तो 2011-2015 के बीच में कुल 1617 लोगों की जान गई. जोकि पूरे दशक का 92 प्रतिशत ज्यादा हैं. वहीं 2016-2020 के पांच सालों में 126 लोगों की मौत हुई.
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पिछली घटनाओं से सबक लेते हुए देश के कई राज्यों ने भीड़ प्रबंधन और निकासी के लिए बेहतर योजना बनाई जिसके कारण ऐसे हादसों में जबरदस्त कमी देखी गई.
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44 प्रतिशत से ज्यादा मौतें सिर्फ 2 राज्यों से
देश में पिछले दशक Stampede से होने वाली मौतों का 85 फीसदी से ज्यादा सिर्फ 7 राज्यों से आता है. इन राज्यों में झारखंड, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.
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अब तक ऐसे हादसे में हुई मौतों में से 24 प्रतिशत सिर्फ झारखंड (435) में हुई हैं. वहीं 20 प्रतिशत से ज्यादा मौतें आंध्र प्रदेश (363) में हुई हैं.
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Stampede Data: भगदड़ से सबसे ज्यादा इन राज्यों में हुई हैं मौतें, क्या है पिछले दशक का आंकड़ा?