दिल्ली के एलजी वी के सक्सेना (Delhi LG VK Saxena) को मानहानि के एक मामले में बड़ी जीत मिली है. 20 साल पुराने मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दोषी करार दिया है. एलजी ने यह केस साल 2001 में दाखिल किया था. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सक्सेना के पक्ष में फैसला दिया है. कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता के बयान से उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है.
20 साल बाद मानहानि के मामले में आया फैसला
20 साल पुराने केस में दिल्ली के मौजूदा एलजी वीके सक्सेना को जीत मिली है. उन्होंने कोर्ट में मानहानि का केस दाखिल करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के एक प्रेस नोट का हवाला दिया था. इस प्रेस नोट में पाटकर ने सक्सेना को देशभक्त नहीं, बल्कि कायर बताया था.
यह भी पढ़ें: इजरायली महिला के साथ हमास के आतंकियों की दरिंदगी, पिता-बेटे ने किया रेप
उन्होंने एक बयान में कहा था कि सक्सेना देशभक्त नहीं है, बल्कि एक कायर इंसान हैं. कोर्ट ने माना कि इस तरह के बयान से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. साल 2001 से यह कानूनी मुकदमा चल रहा है.
कोर्ट ने अपने आदेश में की महत्वपूर्ण टिप्पणी
साकेत कोर्ट ने अपने आदेश में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दोषी करार देते हुए कहा कि उनके बयान से सार्वजनकि छवि को नुकसान पहुंचा है. मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना पर दो दशक पहले आरोप लगाया था कि वह देशभक्त नहीं, बल्कि एक कायर हैं. उन्होंने सक्सेना पर हवाला के जरिए लेन-देन में शामिल होने का भी आरोप लगाया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कोर्ट ने माना कि यह सक्सेना की छवि को खराब और आम लोगों के बीच में नकारात्मक बनाने की कोशिश थी. उनके चरित्र और देश के प्रति निष्ठा पर सीधा हमला था.
यह भी पढ़ें: चुनाव से पहले नंदीग्राम में भड़की हिंसा, TMC कार्यकर्ता को बुरी तरह से पीटा
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
Medha Patkar मानहानि केस में दोषी करार, LG वीके सक्सेना के पक्ष में आया फैसला