महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद सियासी घमासान मचा हुआ है. विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) इस मुद्दे पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार को लगातार घेरने में लगी है. उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है. लेकिन इस बीच महायुति के अंदर ही खींचतान नजर आ रही है. जहां एक तरफ सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजित पवार मांफी मांग रहे हैं, वहीं डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस नौसेना पर ठीकरा फोड़ रहे हैं.
सिंधुदुर्ग की मालवण तहसील में राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा 26 अगस्त को गिर गई थी. इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में किया गया था. लेकिन करीब 9 महीने के अंदर ही यह गिर गई.
इस घटना को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे ने बयान दिया था कि यह प्रतिमा प्रदेश सरकार द्वारा नहीं, बल्कि नौसेना ने बनाई थी. ऐसे में इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है. ऐसी स्थिति में इस पूरे मामले में राज्य सरकार पर कोई आरोप लगाना किसी भी स्थिति में सही नहीं होगा. हालांकि, उनके बयान पर जब विवाद बढ़ा तो मुख्यमंत्री ने फटाफट मांफी मांग ली. शिंदे ने कहा कि हमने एक टीम गठित की है, जो भी दोषियों होंगे उनपर कार्रवाई होगी. साथ ही जल्द से जल्द शिवाजी महाराज की एक बड़ी मूर्ति बनाई जाएगी.
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अजित पवार ने मांगी माफी
अजित पवार ने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने पर मैं महाराष्ट्र की जनता से माफी मांगता हूं. अजित ने लातूर जिले में जन सम्मान यात्रा के दौरान एक जनसभा में कहा, 'चाहे अधिकारी हों या ठेकेदार, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिवाजी महाराज हमारे देव हैं. मैं उनकी प्रतिमा गिरने के लिए महाराष्ट्र के 13 करोड़ लोगों से माफी मांगता हूं.' अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP ने इस घटना को लेकर गुरुवार को राज्य भर में मौन प्रदर्शन भी किया.
देवेंद्र फडणवीस ने कही ये बात
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की इस मूर्ति को नौसेना ने बनाया था. इसका निर्माण राज्य सरकार द्वारा नहीं किया गया था, ऐसे में सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना स्वीकार नहीं है. हम हर जगह भ्रष्टाचार का विरोध करते हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसा संभव हो सकता है कि मूर्ति के निर्माण और स्थापना में तेज हवा की गति और इस्तेमाल किए गए लोहे की गुणवत्ता को नजरअंदाज किया गया हो. इस घटना की उचित जांच होनी चाहिए, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और उस स्थान पर फिर से भव्य प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए.
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शिवाजी स्टैच्यू विवाद ने महायुति की बढ़ाई टेंशन, शिंदे-अजीत मांग रहे माफी, BJP फोड़ रही ठीकरा