डीएनए हिंदी: कर्नाटक में सिद्धारमैया आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इस दौरान कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता बेंगलुरु में जुटेंगे. इस शपथ ग्रहण समारोह को शक्ति प्रदर्शन में तब्दील करने के लिए कई विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों को भी न्योता भेजा गया है. हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें कई दिग्गज नेताओं को जानबूझकर नहीं बुलाया गया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष आखिर किस तरह एकजुट होगा? कांग्रेस ने यह संदेश भी देने की कोशिश की है कि जिनसे उसका सीधा मुकाबला है, उनको वह कोई रियायत नहीं देने वाली है. इसमें अरविंद केजरीवाल, केसीआर और जगन मोहन रेड्डी प्रमुख हैं.

इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, एनसीपी के मुखिया शरद पवार, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक ब्दुल्ला जैसे दिग्गज नेताओं को न्योता भेजा है. इसके अलावा, कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी JMM के नेता और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को भी शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया है. सीपीआई महासचिव डी राजा, सीपीआई-एम के महासचिव सीताराम येचुरी और सपा चीफ अखिलेश यादव को भी न्योता भेजा गया है.

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चुनिंदा विपक्षियों से कांग्रेस ने किया किनारा
कांग्रेस ने जिन नेताओं को न्योता नहीं भेजा है उसमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के सीएम केसीआर, केरल के सीएम पिनराई विजयन, आंध्र प्रदेश के सीए जगनमोहन रेड्डी, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और बसपा सुप्रीमो मायावती शामिल हैं. इसमें से मायावती गाहे-बगाहे कांग्रेस पर भी हमले बोलती रही हैं. अरविंद केजरीवाल ने दूरियां मिटाने की कोशिश जरूर की थी लेकिन कांग्रेस का मानना है कि AAP की ओर से ऐसी कोशिशें तब ही की जाती हैं जब वह मुश्किल में होती है.

केरल, दिल्ली आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना- ये चार राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला सत्ताधारी पार्टियों से है. ऐसे में कांग्रेस ने इन चारों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों को न्योता नहीं भेजा है. शायद कांग्रेस उन नेताओं को मंच पर नहीं रखना चाहती, जिनके खिलाफ कुछ ही महीनों में उसे चुनाव में उतरना पड़ेगा. वहीं, कांग्रेस ने ममता बनर्जी को न्योता भेजा है क्योंकि हाल ही में ममता बनर्जी ने कांग्रेस का समर्थन करने की बात कही थी.

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समझिए सीटों का क्या है गणित?
दिल्ली और पंजाब को मिलाकर कुल 20, आंध्र प्रदेश में 25, तेलंगाना में 17, ओडिशा में 21 और केरल में लोकसभा की कुल 20 सीटें हैं. कांग्रेस ने इस शपथ ग्रहण समारोह से यह संकेत भी दिया है कि इन 103 सीटों पर गठबंधन सहयोगियों के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी. हालांकि, ऐसी स्थितियों में तीसरी पार्टी यानी बीजेपी को फायदा मिलता रहा है. 2014 और 2019 में बीजेपी ने इन राज्यों कम ही सही लेकिन सीटें जरूर हासिल की हैं.

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siddharamaiah oath ceremony congress invite list shows broken opposition before 2024 general elections
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कैसे एकजुट होगा विपक्ष? सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में आधे विपक्षियों को नहीं मिला
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कैसे एकजुट होगा विपक्ष? सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में आधे विपक्षियों को नहीं मिला न्योता