डीएनए हिंदी: India Vs China- पाकिस्तान की खराब होती आर्थिक स्थिति ने भारत सरकार का पूरा ध्यान चीन की तरफ मोड़ दिया है, जो देश से सटी सीमा पर लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहा है. चीन के इरादों को लेकर एक्सपर्ट्स लगातार चेतावनी दे रहे हैं. इस कारण सरकार ने भी चीन से सटी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के अभियान में तेजी दिखाई है. इसमें सबसे अहम लद्दाख से जुड़े प्रोजेक्ट माने जा रहे हैं, जहां चीन सबसे ज्यादा आक्रामक दिखाई दे रहा है. इसी कारण केंद्र सरकार की कोशिश लद्दाख और उसकी चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line Of Actual Control) को पूरा साल देश के बाकी हिस्से से कनेक्ट करने पर है. इसके लिए एक और ऑल वेदर टनल प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी गई है. शिंकुला टनल (Shinkun-La-Tunnel) के निर्माण से पाकिस्तान से सटे कारगिल-सियाचिन से लेकर चीन से सटे पूर्वी लद्दाख तक हर मौसम में भारतीय सेना की पहुंच आसान हो जाएगी. इसे दुनिया की सबसे ऊंची ऑल वेदर टनल भी बताया जा रहा है.
तीन अहम फैसलों को दी गई है मंजूरी
मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में बुधवार को चीन को ध्यान में रखकर तीन बड़े फैसलों को मंजूरी दी गई है. इनमें शिंकुला टनल के निर्माण की मंजूरी के अलावा LAC पर निगरानी के लिए भारत-तिब्बत सीमा बल (ITBP) की 7 अतिरिक्त बटालियन के गठन का फैसला भी है. इसके अलावा चीन से सटे सीमावर्ती इलाकों के गांवों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कराने का भी फैसला लिया गया है. इससे इन गांवों से पलायन रोकने में मदद मिलेगी. इन फैसलों में सबसे ज्यादा अहम लद्दाख को ऑल वेदर कनेक्टिविटी देने वाली शिंकुला टनल के निर्माण की मंजूरी को माना जा रहा है. इससे लद्दाख का सफर पूरे साल आसान और छोटा होगा, जो रक्षा नजरिए के साथ ही इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के हिसाब से भी अहम होगा.
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साल 2025 तक पूरी हो जाएगी शिंकुला टनल
शिंकुला टनल का निर्माण शिंकुला दर्रे पर किया जाएगा, जो समुद्र तल से 16,580 फीट की ऊंचाई पर होगी. इसे दुनिया की सबसे ऊंची ऑल वेदर टनल बताया जा रहा है. दिसंबर, 2025 में इसे पूरा करने का टारगेट तय किया गया है, जिसके लिए 1681.51 करोड़ रुपये की कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट तय की गई है. मनाली से सरचू लेह हाईवे पर 101 किलोमीटर बाद दारचा से शिंकुला दर्रे की तरफ 33 किमी अतिरिक्त सफर के बाद इस टनल का साउथ पोर्टल शुरू होगा, जबकि इसका लद्दाख में लाखंग के पास इसका नॉर्थ पोर्टल बनेगा. करीब 4.25 किलोमीटर लंबी इस टनल के निर्माण से लद्दाख की जांस्कर घाटी की कनेक्टिविटी देश के बाकी हिस्से से जुड़ेगी, जिससे यहां पर्यटन को भी बेहद बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.
यह होगी इस टनल की अहमियत
- कारगिल-सियाचिन के नीमू और पूर्वी लद्दाख के लेह से बराबर दूरी पर होने से सेना दोनों सीमाओं पर पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से पहुंच पाएगी. साथ ही सेना का मूवमेंट पाकिस्तान और चीन, दोनों की सेनाओं की नजरों से दूर रहेगा.
- साल में 9 से 10 महीने लगातार कनेक्टिविटी बने रहने से यहां पर भारत की स्थिति ज्यादा मजबूत होगी और इस इलाके में पर्यटन की गतिविध बढ़ने से भी लाभ होगा.
- फिलहाल लद्दाख की कनेक्टिविटी के लिए श्रीनगर-कारगिल-लेह (Srinagar-Kargil-Leh Highway) और मनाली-उप्शी-लेह एनएच-1 (Manali-Upshi-Leh National Highway-1) ही मौजूद हैं. नीमू-पदम-दार्चा रोड (Nimu-Darcha Road) अभी बन रही है, इस पर शिंकुला टनल बनने से यह तीसरा रास्ता पूरा साल खुला रहेगा.
- नीमू-दार्चा रोड बाकी दोनों हाईवे से छोटा है, इसलिए यदि यह हाईवे ऑलवेदर टनल के जरिए पूरे साल के लिए खुला रहता है तो कनेक्टिविटी बेहतरीन हो जाएगी.
लद्दाख में पहले बन रही हैं 4 टनल, एक है चालू
लद्दाख में पहले से ही श्रीनगर-लेह हाईवे पर जोजिला टनल (Zojila Tunnel) बन रही है, जबकि मनाली-लेह एनएच पर रोहतांग पास के करीब अटल टनल (Atal Tunnel) चालू हो चुकी है और 3 टनल अभी बन रही हैं.
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लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची ऑल वेदर शिंकुन-ला टनल को मंजूरी, LAC पर चीन के खिलाफ साबित होगी गेम चेंजर