डीएनए हिंदी: बीते कुछ महीनों में कांग्रेस पार्टी ने अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर जमकर सवाल उठाए. जेपीसी की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद में खूब प्रदर्शन किए. राहुल गांधी ने भी गौतम अडानी को जमकर घेरा. बीच-बीच में वह विनायक सावरकर के बहाने यह भी कहते रहे कि वह 'गांधी हैं, सावरकर नहीं, जो माफी मांगें.' सावरकर का नाम आते ही महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी ने हाथ खड़े कर दिए. अब अडानी-हिंडनबर्ग विवाद शरद पवार के जवाब ने कांग्रेस को हैरान कर दिया. शरद पवार के इन बयानों के बाद कहा जा रहा है कि राहुल गांधी धीरे-धीरे खुद ही किनारे होते जा रहे हैं. वह ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जिससे उनके सहयोगी ही असहज हो रहे हैं.
एक तरफ कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर जेपीसी की मांग कर रहे हैं. वहीं, एक इंटरव्यू में शरद पवार ने सवाल उठा दिए कि आखिर इस मुद्दे को इतनी तवज्जो क्यों दी गई. पवार के इस बयान की अहमियत देखते हुए कांग्रेस पार्टी को आगे आना पड़ा. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह एनसीपी का अपना विचार हो सकता है लेकिन विपक्ष की 19 पार्टियां अडानी ग्रुप के मुद्दे को वास्तविक मानती हैं और एनसीपी समेत तमाम दल इसके लिए एकजुट हैं.
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लोकसभा चुनाव से पहले अकेली पड़ रही कांग्रेस?
अगले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने खुला ऐलान किया है कि वे ऐसा गठबंधन बना रहे हैं जिसमें कांग्रेस की जगह नहीं होगी. सावरकर के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एनसीपी ने ऐतराज जताया. केसीआर और नीतीश कुमार जैसे नेता कांग्रेस को लेकर सहज नहीं हैं. ऐसे में यह साफ दिखाई दे रहा है कि कुछ खास मुद्दों के चलते कांग्रेस हर दिन अपने सहयोगियों से ही दूर होती जा रही है.
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शरद पवार ने अपने इंटरव्यू में कहा, 'इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो दे दी गई. रिपोर्ट में बयान किसने दिए, क्या बैकग्राउंड है. जब ये लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनसे देश में बवाल खड़ा हो इसका असर हमारी इकोनॉमी पर पड़ता ही है. लगता है यह सब किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था.'
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राहुल गांधी के बयान ही कांग्रेस को कर रहे अकेला? अब शरद पवार ने पकड़ी अलग राह