उत्तराखंड के बागेश्वर के कई जिलों में भीषण भू-धंसाव और खनन के चलते जोशीमठ जैसे गंभीर हालात बन रहे हैं. कुंवारी, कांडा और कपकोट इलाके में सड़कों, खेतों और घरों में गंभीर दरारें हो गई हैं. कपकोट और कांडा में भारी बारिश और बड़े पैमाने पर खनन की वजह से हालात और खराब हो गए हैं. इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) से जवाब मांगा है. बागेश्वर में बिगड़ते हालातों के चलते 200 से ज्यादा परिवार विस्थापन की मांग कर रहे हैं.
खनन और दरारों से लोग परेशान
जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बागेश्वर जिले में 11 गांवों को संवेदनशील घोषित किया है. यहां पर कुल 450 घर खतरे में बताए जा रहे हैं. उनमें कुंवारी और सेरी जैसे गांवों में 131 परिवार भूस्खलन प्रभावित हैं. तो वहीं, कांडा और रीमा क्षेत्र के सोपस्टोन खदानों के पास कई गांव भू-धंसाव का सामना कर रहे हैं. सड़कों, मकानों पर दरारें देखने को मिल रही हैं. यही नहीं हजारों साल पुराने मंदिरों में भी बड़ी-बड़ी दरारें देखने को मिल रही हैं. मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए NGT प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अपरोज अहमद की पीठ ने नोटिस जारी किया.
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11 गांव संवेदनशील चयनित
NGT ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सीपीसीबी के साथ उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बागेश्वर के डीएम को नोटिस जारी कर वास्तविक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. कांडा क्षेत्र में लोगों की शिकायतें आने के बाद डीएम ने कांडा कन्याल गांव में निरीक्षण के दौरान भू-धंसाव के बारे में बताया. उपजिलाधिकारी कपकोट अनुराग आर्य ने कहा कि जिले में 11 गांव संवेदनशील चयनित हो चुकी है. प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने की तैयारी कर ली गई है.
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बागेश्वर में जोशीमठ जैसे गंभीर हालात, 200 परिवार विस्थापन को तैयार, मंदिरों में भी दरारें, NGT ने सरकार से मांगा जवाब