डीएनए हिंदी: राजस्थान में कांग्रेस आपसी कलह से लगातार जूझ रही है. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के समय जो कुछ हुआ उसके बाद एक बार को लगा कि सब ठीक हो गया है. अब चुनाव से कुछ महीनों पहले सचिन पायलट ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान से कांग्रेस हाई कमान सकते में आ गया है. कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि इस सबकी टाइमिंग ठीक नहीं है लेकिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों से बात की जाएगी.
सचिन पायलट का कहना है कि पिछले चुनाव से पहले कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाया और जनता ने भी उसका साथ दिया. उनका तर्क है कि कांग्रेस सरकार को इन मामलों में ऐक्शन लेना चाहिए. सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के पुराने बयान दिखाते हुए कहा कि हमें साबित करना होगा कि हमारी कथनी-करनी में फर्क नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए वह अशोक गहलोत को चिट्ठी भी लिख चुके हैं और कोई कार्रवाई नहीं हो रही. इसीलिए वह 11 अप्रैल को एक दिन के अनशन पर बैठेंगे.
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गहलोत और वसुंधरा राजे की डील?
राजस्थान में अक्सर इस तरह की चर्चा होती है कि अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की आपसी सांठगांठ है और इसीलिए ये दोनों एक-दूसरे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते. सचिन पायलट के करीबी नेता भी यही कहते हैं कि इन दोनों के आपसी सामंजस्य की वजह से ही अशोक गहलोत कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. हालांकि, इस बार सचिन पायलट आरपार के मूड में नजर आ रहे हैं. उन्होंने इशारों ही इशारों में कहा है कि अगर सुनवाई नहीं होती तो वह जनता के बीच जाने पर मजबूर होंगे. चुनाव के ठीक पहले सचिन पायलट का यह कदम कांग्रेस के लिए घातक हो सकता है.
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दरअसल, चुनाव से पहले सचिन पायलट अपनी भूमिका स्पष्ट करना चाहते हैं. अक्टूबर महीने में जब अशोक गहलोत समर्थक मंत्रियों ने इस्तीफा दिया और यह दर्शाने की कोशिश की गई कि उन्हें सचिन पायलट स्वीकार नहीं हैं तब भी हाई कमान ने पायलट को आश्वासन देकर मना लिया. हालांकि, अशोक गहलोत या उनके समर्थकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बड़े रोल की तलाश में हैं सचिन पायलट
सचिन पायलट राजस्थान का सीएम बनना चाहते हैं यह किसी से छिपा नहीं है. डिप्टी सीएम के पद से हटने के बाद से वह कई बार कोशिश भी कर चुके हैं. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के समय तो खबरें भी आ गईं कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे और सचिन पायलट को सीएम बनाया जाएगा. यह योजना फलीभूत नहीं हुई और सचिन पायलट एक बार फिर मायूस हो गए.
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इसके लिए सचिन पायलट ने जगह और तारीख बहुत चालाकी से चुनी है. जगह जयपुर का शहीद स्मारक है. 11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फुले की जन्मतिथि है. ज्योतिबा फुले भी उसी माली समुदाय से ताल्लुक रखते थे, जिससे अशोक गहलोत आते हैं. ऐसे में सचिन पायलट भले ही 'बीजेपी के भ्रष्टाचार' का जिक्र कर रहे हों लेकिन उनका असली निशाना अशोक गहलोत ही हैं.
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गहलोत के खिलाफ पायलट का धरना, कांग्रेस ले पाएगी फैसला या होगा मध्य प्रदेश जैसा हाल?