Bengaluru Suicide News: बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है. उनकी तस्वीरें और सुसाइड नोट के शब्द लोगों को गहरे भावनात्मक असर में डाल रहे हैं. अब, पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट बरखा त्रेहन ने इस घटना को लेकर चौंकाने वाली जानकारी दी है, जो आमतौर पर कम चर्चा में होती है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं. मैं पिछले 10 वर्षों से इस मुद्दे पर काम कर रही हूं. अतुल सुभाष अकेले नहीं थे, ऐसे बहुत से पुरुष हैं, जिनकी मौत इस कारण हुई है.
त्रेहन ने आगे कहा कि अतुल सुभाष को जिस तरह से मजबूर किया गया. वह दर्शाता है कि सिस्टम में पक्षपात हो रहा है. सिर्फ महिलाओं की सुनवाई होती है, पुरुषों की कहीं सुनवाई नहीं होती. सुसाइड से पहले, अतुल ने 90 मिनट का एक वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था. वह अपनी पत्नी की प्रताड़ना से परेशान थे. उसका केस जौनपुर में चल रहा था, जहां उसकी ससुराल वाले रहते थे.
#WATCH | A 34-year-old deputy general manager of a private firm in Karnataka's Bengaluru, Atul Subhash died by suicide on Monday, leaving behind a 24-page suicide note accusing his wife, her family members, and a judge of "explicit instigation for suicide, harassment, extortion,… pic.twitter.com/crEa17gs7H
— ANI (@ANI) December 10, 2024
बरखा त्रेहन ने वीडियो के बारे में कहा कि उसने 1 घंटे से ज्यादा का वीडियो बनाया था, जिसमें उसका दर्द साफ नजर आ रहा है. उसकी आवाज में असहनीय दर्द था, और उसने अपने माता-पिता से जो कुछ भी कहा वह दिल दहला देने वाला था. सिस्टम ने उसे पूरी तरह से असफल कर दिया. इसके बाद उन्होंने यह भी कहा, आजकल पुरुषों को इतना डराया जाता है कि वे चुपचाप सब कुछ सहते रहते हैं. अगर कोई पुरुष तनाव में है तो उसे और अधिक दबाव में डाल दिया जाता है. अतुल जैसे मामले में सिस्टम ने उसे ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया.
#WATCH | | Techie dies by suicide in Bengaluru | Delhi: Barkha Trehan, Men's Rights activist says, "...Atul Subhash is not the first man, lakhs of such men have died. 34-year-old Atul Subhash was compelled, the system has failed. There is a lot of biasedness in the system, only… pic.twitter.com/yIHpOXYcNr
— ANI (@ANI) December 11, 2024
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बरखा त्रेहन ने यह भी बताया कि कई बार पुरुषों पर जानबूझकर फर्जी केस लगाए जाते हैं, जैसे कि 498 (आईपीसी की धारा), जिनकी वजह से उन्हें अत्याचार का सामना करना पड़ता है. त्रेहन ने आगे कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह के केसों को लीगल टेररिज्म कह रहा है. तो सोचिए कि देश में पुरुषों की स्थिति क्या होगी. उन्हें रोजाना मानसिक और शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है.
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Atul Subhash के सुसाइड से जुड़े खुलासे ने लोगों को किया हैरान, एक्टिविस्ट ने बताया असल सच